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मेघनगर में 10 सालों से जारी प्रदूषित फैक्ट्रियों का आतंक, अब तक कई लोगों की मौत

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Jan 20, 2020

दशरथ सिंह कट्ठा : पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में जल एवं वायु प्रदूषण से नरसंहार का तांडव बदस्तूर पिछले कई वर्षों से जारी है। केमिकल एवं टायर प्लांट आम जनता की जिंदगी में प्रदूषण का धीमा जहर घोल रहे हैं।

प्लांटो से निकलने वाली जहरीली वायु से लोगों की हो रही मौत
यह है...भारत देश का खेती किसानी व आदिवासी के नाम से जाने जाने वाला झाबुआ जिले का मेघनगर, यहाँ कई महानगरों के निवासी ताजी हवा एवं आदिवासी संस्कृति से रूबरू होने के लिए महानगरों से झाबुआ जिले की ओर रुख करते हैं। लेकिन वर्तमान में जिले का मंजर कुछ और ही है। न ही यहां पीने के लिए साफ पानी है और न ही सांस लेने के लिए शुद्ध हवा। बता दें कि, मेघनगर एवं आसपास के लोगों में भयंकर कैंसर, अस्थमा, खुजली की भयंकर बीमारी नगर के औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल प्लांटो से निकलने वाली जहरीली वायु एवं जल प्रदूषण से हो रही है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन यही सच है भारतीय अनुसंधान विज्ञान,स्वास्थ परिषद के अध्य्यन में यह डरावने तथ्य सामने आए हैं कि झाबुआ के आसपास 16 में से एक व्यक्ति की मौत वायु एवं जल प्रदूषण के कारण हो रही है।

पानी में घुला जहर
पहली नजर में यह दृश्य देखकर लगेगा कि किसी पेट्रोल पंप की पाइप से बोतल में पेट्रोल भरा जा रहा है लेकिन यह औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक पानी के बोरिंग मशीन का पाइप है। जिसमें पेट्रोल जैसे रंग का दिखने वाला केमिकल भूजल में विलय हो गया है। जो हम इस पानी की बोतल और बाल्टी में आप को भर कर दिखा रहे हैं। इतना ही नहीं इन कंपनियों द्वारा अपने ही कारखाना के अंदर 8 इंची से 10 इंची का 500 फिट बोरिंग करवा कर वेस्टेज प्रदूषित पानी को भूतल में छोड़ दिया जाता है जिससे आसपास के कुएं नलकूप एवं जल संसाधन में केमिकल का जहर खुल गया है।

दूषित पानी से फसलें हो रही बर्बाद
मध्यप्रदेश के किसानों की फसल बर्बाद होने की वजह से आत्महत्या करने का आंकड़ा किसी से छुपा नहीं है। ग्राउंड जीरो पर जब हमारी टीम ने मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र के आसपास ग्राम अगराल एवं फुट तालाब, फतेपुरा,कलीपुरा के किसानों से बात की तो यह पाया की केमिकल फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी से हमारी फसलें बर्बाद हो रही है। यह केमिकल और टायर प्लांट के प्रदूषित कारखाने रात के वक्त कारखानों को अंधाधुन चलाए जाते हैं व देर रात दूषित गैस छोड़ते हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत आती है दम घुटता है व सुबह वेस्टेज पानी हमारे खेतों की ओर छोड़ देते हैं जिससे फसलें बर्बाद हो रही है।

जहरीली हवाओं से घुट रहा दम 
इंसानी जिंदगी ही नहीं जानवर भी इस दूषित पानी के जहर का दर्द झेल रहे हैं। कई गाय बैल और भैंस इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी पीने की वजह से काल के गाल में समा गए तो वहीं मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोगों को भी शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है। जिससे मेघनगर एवं आसपास के क्षेत्र का जहरीली हवाओं से दम घुट रहा है।