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विदिशाः जिला चिकित्सालय में एंबुलेंस होने के बावजूद ऑटो में हुआ प्रसव

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Jul 31, 2019

दीपेश शाह- विदिशा जिला चिकित्सालय में 16 जननी एक्सप्रेस और 12 वाहन, 108 एंबुलेंस होने के बाद प्रसूता को वाहन नहीं मिलता है। लिहाजा प्रसूता की ऑटो में ही डिलीवरी हो जाती है। मेडिकल ऑफिसर कहते हैं हम जांच कराएंगे तो वहीं परिजन ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं कि कहीं कुछ घट जाता तो आज क्या होता है। अपनी अवस्थाओं और मनमर्जी के लिए विख्यात विदिशा जिला चिकित्सालय का एक और कारनामा सामने आया है। जहां बीती रात्रि एक प्रसूता की डिलीवरी ऑटो में ही हो जाती है और डिलीवरी के बाद भी प्रसूति वार्ड का गेट नहीं खोला जाता है। वह तो ईश्वर को धन्यवाद दीजिए कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, नहीं तो कुछ भी घट जाता।

जिला अस्पताल में 15-20 मिनट तक गेट नहीं खोला गया

अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विदिशा जिला चिकित्सालय कितना सजग है, इसका नमूना देख लीजिए कि जिस अस्पताल के पास 16 जननी एक्सप्रेस हो तथा 12 वाहन 108 एंबुलेंस के हों, उस जिला अस्पताल में पीड़ित प्रसूताओं की डिलीवरी ऑटो में ही हो जाती है। ऐसा ही एक मामला विदिशा के पास ही माधवपुरा का देखने में आया, जब रात्रि में प्रसूता के भाई ने 108 को और जननी एक्सप्रेस को कॉल किया लेकिन कॉल रिसीव नहीं किया गया। आनन-फानन में रात्रि में ही एक ऑटो वाले को जगाया गया और उससे लेकर प्रसूता को लेकर परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। जिला अस्पताल में भी 15 से 20 मिनट तक गेट नहीं खोला गया और प्रसूता ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। जब जिम्मेदारों से इस बात को कहा गया तो वह जांच की बात कह रहे हैं।

डॉ.के.एल. अहिरवार डीएचओ विदिशा का कहना है कि आप जो घटना बता रहे हैं वह मेरे संज्ञान में नहीं आई है लेकिन जो हमारा 108 कॉल सेंटर है और जो उसके कोऑर्डिनेटर हैं तो उनसे बात करूंगा। क्या सो रहा है और अगर वह केस जिला चिकित्सालय में आया है तो उनके परिजनों से बात करेंगे कि वहां आशा केंद्र है तो उन्होंने क्या किया और जैसा आप बता रहे हैं माधवपुरा, तो यह बहुत पास में है, ऐसा नहीं होना चाहिए था और अगर ऐसा हुआ है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है, हम उसको जरूर ठीक करेंगे।