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बैतूलः बैतूल जिले का टिगरिया गांव बना प्रदेश का पहला क्राफ्ट विलेज

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Jul 20, 2019

युवराज गौर- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के टिगरिया गांव को प्रदेश का पहला क्राफ्ट विलेज घोषित किया गया गया है। प्राचीन भरेवा आर्ट की मोर चिमनी लिए देश विदेश में मशहूर टिगरिया गाँव में भरेवा कला के साथ ही वुड क्राफ्ट, ज़री ज़रदोज़ी के भी खूबसूरत क्राफ्ट तैयार किये जा रहे हैं। साथ ही क्राफ्ट विलेज बनने से गाँव के सैकड़ों लोगों को रोज़गार मिल गया है। अब तक इस गाँव में बना कलात्मक क्राफ्ट देश के लगभग हर महानगर सहित स्वीडन, अमेरिका, जर्मनी और श्रीलंका तक पहुंच चुका है।

टिगरिया की भरेवा कला को बलदेव बाघमारे ने रखा जीवित

बैतूल का टिगरिया गाँव अब क्राफ्ट विलेज टिगरिया के नाम से जाना जाएगा। प्रदेश के हस्तशिल्प निगम और भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने इसे क्राफ्ट विलेज बनाने की शुरुआत कर दी है। इस गाँव को प्रसिद्धि दिलाने में भरेवा कला की मोर चिमनी का बड़ा योगदान रहा है। बेलमेटल से बनी मोर चिमनी की खूबसूरती देखते ही बनती है, साथ ही अब यहां बेलमेटल सहित एक से बढ़कर एक क्राफ्ट देखते ही बनता है। टिगरिया की भरेवा कला को बलदेव बाघमारे ने जीवित रखा है, जिनकी इस कला से टिगरिया क्राफ्ट विलेज बन सका है। टिगरिया के भरेवा समुदाय के लोग सदियों से पंचधातु बेलमेटल से मोर चिमनी बनाते आए हैं। देश के कई शाही दरबारों सहित क्राफ्ट प्रदर्शनियों में मोर चिमनी और बेलमेटल के क्राफ्ट की जबरदस्त मांग रही है। बलदेव के मुताबिक बैतूल की स्थानीय कलाओं को सहेजना बेहद ज़रूरी है क्योंकि स्थानीय कलाकार काम नहीं मिलने जैसी वजहों से पलायन करने लगे हैं जिससे कई दुर्लभ कलाएं लुप्त हो रही हैं।

सैकड़ों कलाकारों को भरपूर काम और आमदानी मिल रही

क्राफ्ट विलेज घोषित होने से अब गांव और जिले के सैकड़ों कलाकारों को भरपूर काम और आमदानी मिल रही है जिससे पलायन भी रुक गया है। बेलमेटल के अलावा यहां ज़री ज़रदोज़ी और वुड क्राफ्ट का भी काम हो रहा है। क्राफ्ट विलेज बने टिगरिया गाँव ने ये साबित कर दिया कि अगर स्थानीय कलाओं और शिल्पकारों को प्रोत्साहन मिले तो उन्हें रोज़गार के लिए कहीं और नहीं भटकना पड़ेगा साथ ही प्राचीन समय की दुर्लभ शिल्प और कलाएं भी जिंदा रहेंगी।