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झाबुआः राशनकार्डधारकों के झूठे आंकड़ों के चलते जरूरतमंद को नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ

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Aug 3, 2019

दशरथ सिंह कट्ठा- आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में भले ही सर्वेक्षण गरीब आबादी की मोटी तस्वीर दे सकता है, लेकिन सर्वेक्षण के आंकड़े ए.पी.एल. राशनकार्डधारकों के झूठे आंकड़ों के साथ बस बदहाली के आँसू ही दे सकते हैं। झाबुआ जिले के मेघनगर नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 3 में रहने वाली जमनाबाई, जिसका पति दिमाग से अर्धविक्षिप्त व विकलांग है। इतना ही नहीं, जमनाबाई को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं हो पाती। पीड़ित जमनाबाई ने बी.पी.एल. राशनकार्ड के लिए नगर परिषद में कई बार आवेदन दिया, लेकिन नगर परिषद द्वारा बिना जांच के आवेदन निरस्त कर जमनाबाई को अमीर घोषित कर दिया गया। जिसकी वजह से जमनाबाई को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और बीपीएल राशन कार्ड ना होने की वजह से जमनाबाई को शासन की किसी भी योजना का लाभ आज तक नहीं मिल पा रहा है।

लाचार और मजबूर जमनाबाई बी.पी.एल राशनकार्ड बनवाने के लिए कई बार लगा चुकी हैं गुहार

मेघनगर में रहने वाली असहाय जमनाबाई, जिनके पास टूटा फूटा घर तो है लेकिन छत के नाम पर प्लास्टिक की पन्नी डाल रखी है। जमनाबाई के दो बच्चे हैं, लेकिन वो कहने मात्र के ही हैं, जो अपने बूढ़े मां-बाप को उनके बुरे हाल पर छोड़ कर कहीं चले गए। लाचारी से जूझ रहे, बेबस जमनाबाई और उनके पति की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं। जमनाबाई के पति की बात करे तो वो पैर से विकलांग है और दिमाग से अर्धविक्षिप्त। जमनाबाई अपने दिनभर के दाना-पानी का जुगाड़ आसपास के घरों में बर्तन मांज कर, दो वक़्त की रोटी जुटाती हैं। जमनाबाई अपनी बेबसी और शासन की योजना का लाभ लेने के लिए नगर परिषद में बी.पी.एल राशनकार्ड बनवाने के लिए कई बार गुहार लगा चुकी हैं। जिससे वे योजना की पात्र हितग्राही बन सके। क्या अब शासन-प्रशासन जमनाबाई की मदद करेगा या फिर यह परिवार ऐसे ही बदहाली के आंसू बहाता रहेगा।