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खनन माफिया अपना रहे नए तरीके, म.प्र. सरकार नहीं रोक पा रही अवैध उत्खनन

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Mar 13, 2018

भले ही मध्य प्रदेश सरकार अवैध उत्खनन रोकने के लिए एडीचोटी का जोर लगा रही हो बावजूद इसके खनन माफिया इस तरह का तरीका अपना रहे है, जिससे उत्खनन नहीं रूक रहा। मसलन अब खनन माफिया ग्वालियर जिले में नदियों का सीना चीरकर हर दिन पनडुब्बी से एक दिन में लगभग 54 लाख रुपए का रेत निकाल रहे है। ये वो पनडुब्बी है, जो केवल 6 लाख रूपए की लागत से तैयार हो जाती है और वो एक दिन में ही अपनी कीमत कई गुना फायदा खनन माफियों को पहुंचा रही है।

ग्वालियर में खनन माफियों पर लगाम लगाने के लिए माइनिंग, प्रशासन और पुलिस की टीमों ने बीते दिनों 15 से अधिक बार कार्रवाई में 32 पनडुब्बी नष्ट कीं। बावजूद इसके खनन बंद नहीं हो पाया है। लेकिन जो वजह समाने आयी है, वो चौकानें वाली है। दरअसल जिस पनडुब्बी से खनन माफिया खनन करते है, वह सिर्फ 6 लाख रुपए में बन जाती है अगर प्रशासन उसे जब्त कर नष्ट भी कर देता है, तो खनन माफियों को फर्क नही पड़ता है। क्योंकि वह पनडुब्बी अपनी कीमत से कई गुुना रकम एक दिन में निकल देती है। वहीं खनन को लेकर कांग्रेस, सत्ताधारी दल पर निशाना साध रही है।

वहीं इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा का कहना है कि अवैध उत्खनन लगातार  पनडुब्बियों से किया जा रहा है पनडुब्बियों को नष्ट करने के बाद भी उत्खनन रूक नही रहा है कहीं न कहीं प्रशासन और सरकार के लोगों का सरंक्षण मिला हुआ है

ऐसे बनती है पनडुब्बी
एक पनडुब्बी तैयार करने में 6 लाख रुपए की लागत आती है।
पनडुब्बी में 6 पिस्टन वाले ट्रक का इंजन इस्तेमाल होता है।
नदी के तल से रेत खींचने 40 से 50 फीट प्लास्टिक पाइप डाला जाता है।
किनारे तक रेत फैंकने लोहे के 120 से 200 फीट पाइप लगाए जाते हैं।
इंजन में हैवी पंखा लगाया जाता है, जो पानी के तल से रेत खींचता है ।
रेत खींचने के लिए पनडुब्बी को नाव पर रखकर गहरे पानी में ले जाते हैं।
सुबह से शाम तक 10 से 12 हजार फीट रेत खींचा जाता है।

अगर प्रशासन खनन माफियों के ऊपर कार्रवाई भी करता है, तो एक पनडुब्बी के नष्ट होने पर माफिया दूसरे दिन ही नई पनडुब्बी नदी में डालकर फिर से उत्खनन शुरू कर देता है। दरअसल पनडुब्बी बनाने का तरीका और इससे निकाला जा रहा रेत शत प्रतिशत अवैध है, इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी पनडुब्बी नष्ट करते समय न तो मशीन में लगे इंजन के नंबर के आधार पर जांच करते हैं और न ही मरम्मत और असेंबलिंग करने वाले लोगों को पकडऩे की कोशिश कर रहे हैं। पनडुब्बी तैयार करने के लिए ट्रक का इंजन इस्तेमाल किया जाता है, जिसको कंडम गाडि़यों का बताते हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रेत खींचने में इस्तेमाल हो रहे इंजन चोरी के भी हो सकते हैं। तो वहीं प्रशासन सिर्फ अवैध उत्खनन पर अपनी कार्रवाई की बात करता है। 

ग्वालियर कलेक्टर राहुल जैन का कहना है कि अब प्रभावशाली कार्रवाई की जा रही है, बीती 22 तारीख को 6 पनडुब्बियो को नष्ट किया है किसी भी कीमत पर माफियों को पनपने नही दिया जाएगा। खनन माफिया डबरा, भितरवार, नरवर, करैरा, दतिया क्षेत्र से निकलीं सिंध, पार्वती, महुअर, नोन नदी से रेत निकालने के लिए माफिया उत्तरप्रदेश के उरई, कानपुर, हमीरपुर, चिरगांव , महोबा सहित अन्य शहरों से पनडुब्बी मंगवाने का काम करते है। जिस पर प्रशासन की नजर होती है, आखिर ये पनडुब्बियों कहां से आ रही है हालत इससे भी समझ सकते है कि बीते दिनों प्रशासन ने सिंध नदी पर खनन माफियों पर कार्रवाई करते हुए कई पनडुब्बियों को नष्ट कर दिया। लेकिन तीसरे दिन से फिर से नई पनडुब्बियों से उत्खनन होना शुरू हो गया।