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विश्वबैंक: साल 2050 तक छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश होंगें शीर्ष हॉट स्पॉट

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Jun 29, 2018

बढ़ता तापमान और मानसून की चाल में आए बदलाव भारत की विकास की राह में बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है विश्वबैंक ने एक बदलते मौसम और लोगों के जीवन में आए बदलाव को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें ये बात सामने आई है कि साल 2050 तक छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश शीर्ष हॉट स्पॉट रहेंगे। जिससे वहां के निवासियों के जीवन स्तर में 9 फीसदी से अधिक की गिरावट आएगी।

अपने जंगलों पर इतराने के दिन छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लिए जल्द ही खत्म होने वाले हैं जिन जंगलों के होने से सूबे की आबोहवा सेहतमंद रहती थी उससे एक भंयकर बीमारी जकड़ने वाली है जो प्रदेश की आबादी का जीवन स्तर 9 फीसदी नीचे ले जाएगी। इस पर्यावरणीय बीमारी को नाम दिया गया है हॉट स्पॉट। विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में इस बात का आकलन किया गया है कि 2050 तक छत्तीसगढ़ की हालत बढते तापमान और मानसून की चाल में बदलाव की वजह से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश हॉट स्पॉट बन जाएंगे। विश्व बैंक ने ये रिपोर्ट साउथ एशिया हॉट स्पॉट द इंपेक्ट ऑफ टेंप्रेचर एंड पर्सिपिटेशन चेंजेस ऑन लिविंग स्टैंडर्ड्स के नाम से जारी की गई है।

जिलों को हॉट स्पॉट के रुप में चिन्हित
रिपोर्ट में उन राज्यों और जिलों को हॉट स्पॉट के रुप में चिन्हित किया गया है जहां औसत तापमान में आए बदलावों के चलते जीवन का स्तर नीचे चला जाएगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक भारत की आबादी का जीवन स्तर ताममान में वृद्धि और मॉनसून का मिज़ाज बदलने से गिर जाएगा। इसका नकारात्मक असर देश की विकास दर पर भी पड़ेगा। मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र के इलाके भी हॉट स्पॉट में आएंगे, रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के शीर्ष हॉटस्पॉट जिलों में विदर्भ के 7 जिले हैं इसकी वजह मौसम की बदली चाल के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट, पानी का संकट और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होंगी। हालांकि छत्तीसगढ़ में इसके असर को लेकर पहले ही मौसम वैज्ञानिक ने आगाह कर दिया था।

हॉट स्पॉट के चलते प्रति व्यक्ति खपत के स्तर में आएगी गिरावट 
पेरिस समझौते की सिफारिशों को पूरी तरह माना गया तो भी भारत का औसत तामपान 2050 तक 1 से 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ेगी। अगर इन सिफारिशो को माना भी गया तो 1.5 से 3 डिग्री बढ़ेगी। विश्व बैंक के मुताबिक भारत के मध्यवर्ती, उत्तरी और पश्चिमोत्तर राज्यों पर मौसम के मिजाज़ में आए बदलाव का सबसे अधिक असर दिखेगा। जानकारों के मुताबिक हॉट स्पॉट के चलते प्रति व्यक्ति खपत के स्तर में गिरावट आएगी इससे गरीबी बढ़ेगी और दक्षिण एशिया में असमानता बढ़ेगी।

स्थानीय क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश और रणनीति
इस खतरे को कम करने के लिए विश्वबैंक की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रति स्थानीय स्थानीय क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश और रणनीति भी बताई है विश्व बैंक इसके लिए जल संकट घटाने, गैर कृषि क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ाने और शिक्षा के स्तर में सुधार जैसे उपाय बताए हैं ऐसा अनुमान जताया गाय है कि इन उपायों में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने जीवस्तर की गिरावट में 1 फीसदी कमी की जा सकती है।