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इंदौरः जंग किसी मसले का हल नहीं, संदेश देती दुनिया की सबसे बड़ी कलाकृति

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Nov 2, 2019

विकास सिंह सोलंकी - जंग किसी भी मसले का हल नहीं ऐसा ही एक संदेश देती दुनिया की सबसे बड़ी कलाकृति इंदौर में बनाई गई है। द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी दर्शाती इस कलाकृति का निर्माण 10 दिन में हुआ है, जो महिलाओं का दर्द बयां कर रही है। इस कलाकृति को देशभर के अलग-अलग प्रदेशों की 30 युवकों ने मिलकर तैयार किया है। यह वह कलाकृति है जिसे दुनिया की पहली सबसे बड़ी कलाकृति होने का दावा इसका निर्माण करने वाले कलाकार कर रहे हैं। इंदौर में बनाई गई इस कलाकृति की लंबाई 64 फ़ीट और चौड़ाई 24 फ़ीट है। इसमें माइल्ड स्टील नेल्स का उपयोग किया गया है। यह कलाकृति दूसरे विश्वयुद्ध के समय को दर्शाती है; जिसमें एक महिला एक गाड़ी में बैठकर अपने घर की तरफ जा रही है। गाड़ी को दो पुरूष मिलकर चला रहे हैं।

देश भर की 30 युवतियों ने साथ मिलकर बनाई दूनिया की सबसे बड़ी कलाकृति

कलाकृति की कुछ खास बातें जानकर आपको हैरानी होगी। मसलन, गाड़ी चालक के सिर और पैर का नहीं होना, साथ ही गाड़ी में स्टीयरिंग का नहीं होना, इसको अनोखा बनाती हैं। कलाकार का इस बारे में यह कहना है कि हर पुरुष का एक जैसा ही चेहरा होता है और वह दूसरों के बताये रास्तों पर ही चलता है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लगभग 20 लाख सैनिकों को वीरगति की प्राप्ति हुई थी। इस कलाकृति में 20 लाख कीलों का इस्तेमाल किया गया है। हर कील एक-एक सैनिक के परिवार की त्रासदी (दुःख) को बयां करती है। कलाकृति  यह संदेश दे रही है कि जंग किसी  भी समस्या का हल नहीं है। इंदौर की मरियम ने अपनी टीम के साथ मिलकर 10 महीने में एक ऐसी कलाकृति को अंजाम दिया जिसे देखकर लोग दाँतों तले उँगली दबा रहे हैं। उन्होंने 20 लाख 44 हजार 446 कीलों और 30 युवतियों की सहायता से 10 महीनों तक रोज़ाना 10-10 घंटे काम करते हुए एक नेल आर्ट का निर्माण किया है।

कार्य के दौरान चोट लगने के बाद भी कलाकार काम में जुटे रहे

इसे बनाने के लिए 30 युवतियों का चुनाव सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से हुआ है। वैसे इसके निर्माण हेतु 200 कलाकारों की ज़रूरत थी। मगर मरियम और 30 लोगों की टीम ने मिलकर यह अजूबा कर दिखाया। मरियम के पति आर्टिस्ट वाजिद खान, विश्व ख्याति प्राप्त कलाकार ने इस नेल आर्ट में अहम भूमिका निभाते हुए टीम को बनाने के लिए एक महीने की ट्रेनिंग दी। लगभग 10 महीने पहले इसका निर्माण शुरू हुआ और वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने का प्रयास 6 दिन (18 अगस्त से 23 अगस्त) तक किया गया, जो लगातार 53 घंटे 25 मिनट तक इंदौर के गोयल ग्रीन, में जारी रहा। हर 4 घंटे के बाद प्रतिभागियों को आधे घंटे का ब्रेक दिया गया। चोट लगने के बाद भी, उन्होंने उन्हें काम करने से नहीं रोका।