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बालाघाट : बंजर जमीन में काजू की खेती, मनरेगा से मिली मदद

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Jul 10, 2019

राज बिसेन : बालाघाट जिले की जलवायु काजू की खेती के लिए अनुकूल है। अंग्रेजों के समय बालाघाट के रेंजर कालेज एवं बजरंग घाट रोड पर काजू के पौधे लगाये गये थे। लेकिन उसके बाद से जिले में काजू की खेती के लिए कोई विशेष पहल नहीं हुई है। ऐसे में बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा की ग्राम पंचायत गोवारी के किसान ने बंजर भूमि पर काजू की खेती कर एक नई राह दिखाई है। 

बंजर जमीन पर लगाए काजू के पौधे
बिरसा विकासखंड की ग्राम पंचायत गोवारी के ग्राम देवरीमेटा में जंगला जलाशय से लगी बंजर एवं पहाड़ी जमीन है। यह जमीन सिंचाई विभाग की है। ग्राम पंचायत गोवारी के लोगों ने सोचा कि इस बंजर बेकार पड़ी जमीन का उपयोग किसी अच्छे कार्य में होना चाहिए, जिससे ग्रामीणों को आमदनी हो। ऐसे में उद्यान विभाग के अधिकारी हरगोविंद धुवारे ने ग्राम पंचायत के सरपंच भगत सिंह परते एवं सचिव संतोष टेंभरे को सलाह दी कि वे इस बंजर जमीन पर काजू के पौधे लगायें। इस क्षेत्र की जलवायु काजू के पौधों के लिए पूरी तरह से अनुकूल है। 

42 एकड़ की पहाड़ी पर किया पौधरोपण
42 एकड़ की पहाड़ी एवं बंजर जमीन पर पौध रोपण के लिए गांव के शिखर नाम के समूह ने बहुत योगदान दिया। मनरेगा से लगभग 13 लाख रुपये की राशि खर्च कर गड्ढे खोदे गये और उसके चारों ओर फेंसिंग, ट्रेंच का निर्माण किया गया और हायब्रिड काजू के 1500 पौधे क्रय कर लाये गये। शिखर समूह के लोगों ने काजू के पौध रोपण के लिए लगभग 3 लाख रुपये का श्रमदान भी किया। 

काजू की फसल से ग्रामीणों में खुशी का मा​हौल
काजू के पौधें में वैसे तो पांच साल के बाद ही फल आता है। लेकिन ग्राम पंचायत गोवारी द्वारा देवरीमेटा में लगाये गये पौधों में दो साल में ही फल लग गये है। पहली बार इस वर्ष काजू के फल लगे तो गांव वाले भी खुश हो गये है। पहली बार में ही एक क्विंटल काजू की फसल हो गई है।   

ग्राम पंचायत सचिव के मुताबिक
ग्राम पंचायत के सचिव संतोष टेंभरे ने बताया कि देवरीमेटा में लगाये गये काजू के पौधों की सुरक्षा एवं संरक्षण पर अब विशेष ध्यान दिया जायेगा। क्योंकि अब उनमें फल आना प्रारंभ हो गया है। यह पहला वर्ष था इसलिए लगभग एक क्विंटल काजू ही निकला है, लेकिन आने वर्ष में काफी अधिक मात्रा में काजू का उत्पादन प्राप्त होगा। शिखर समूह द्वारा हरित भूमि के लिए की गई पहल के अब सार्थक परिणाम आने लगे है। गांव वाले भी बहुत खुश है कि उनके गांव में काजू का उत्पादन होने लग गया है और आने वाले समय में यह उनके लिए आय का अच्छा जरिया बनेगा।