Loading...
अभी-अभी:

सपेरों के बच्चे नहीं जाते स्कूल, सांपों के साथ खेलते हैं खेल...

image

Aug 5, 2019

प्रशांत चौरसिया : दमोह जिला मुख्यालय पर रहने वाले नाथ संप्रदाय के लोग अभाव का जीवन जी रहे हैं। यह लोग जिला मुख्यालय के अनेक गांव में निवास करते हैं, लेकिन रोजगार की तलाश में अब दमोह आकर रहने लगे हैं। इसके बाद भी इनका जीवन सुधर नहीं पाया है। यही कारण है कि दो वक्त की रोटी के लिए यह लोग मेहनत मजदूरी करने को मजबूर होकर अपना मूल काम धंधा छोड़ रहे हैं।

सांप पकड़ने का धंधा हुआ मंदा
इन सपेरों का कहना है कि सांप पकड़ने का धंधा अब मंदा हो चला है। वहीं सांप के खेल खिलाने पर कानून बन जाने के कारण अब वे दो वक्त की रोटी के लिए दूसरे साधनों पर निर्भर हो गए हैं। दमोह जिला मुख्यालय के किल्लाई नाका के पास खाली पड़ी भूमि पर पन्नी की झोपड़ी बनाकर रहने वाले नाथ समुदाय के लोग सपेरे कहे जाते हैं।

बच्चे नहीं जाते स्कूल 
नाग पंचमी के पहले इन सपेरों में उत्साह तो नजर आता है लेकिन उनका कहना है कि कानून की नजर में सांपों को पकड़ना और उनका प्रदर्शन करना अपराध है। यही कारण है कि वह लोग साल भर के अपने एक त्यौहार को नहीं मना पाते। पुरानी परंपरा का निर्वहन भी वे नहीं कर पाते। अब वे शहर में आकर मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे हैं। वन विभाग की ओर से पहले इन लोगों को कुछ राशि मिला करती थी लेकिन कई सालों से वह भी बंद हो गई। जिससे अब वे लोग परेशान हैं। घर का हर एक सदस्य मेहनत मजदूरी करता है। तब कहीं जाकर इनका पेट भर पाता है। इनके घरों में रहने वाले बच्चे स्कूल नहीं जाते।

दो वक्त की रोटी के लिए परेशान नाथ संप्रदाय
बच्चों का कहना है कि वे सब लोग सांपों के साथ ही खेलते हैं, क्योंकि कुछ सांप जो उनके बड़े बुजुर्ग पकड़कर लाते हैं। वह घर में ही रहते हैं और वे लोग उन सांपों को खिलौने के रूप में खेलते हैं। हालांकि नाथ संप्रदाय के लोग यह मानते हैं कि अब वैसा काम नहीं रहा जैसा पहले था। इस कारण से यह लोग दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशान होते हैं।