Nov 1, 2025
ब्रेकअप की कहानी, पेट्रोल की बहानेबाजी... फर्जी कॉल्स से 108 एम्बुलेंस सेवा परेशान, 1500 घंटे बेकार
मध्यप्रदेश में सरकारी 108 एम्बुलेंस सेवा, जो जीवन रक्षक साबित होनी चाहिए, कुछ मनचलों के हाथों मजाक का शिकार हो गई है। पिछले छह महीनों में 5.72 लाख से अधिक फर्जी कॉल्स आने से न केवल कॉल सेंटर का स्टाफ परेशान है, बल्कि लगभग 1500 घंटे की बहुमूल्य एम्बुलेंस सेवा भी व्यर्थ हो गई। भोपाल सहित पूरे प्रदेश में यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है, जहां असली मरीजों को समय पर मदद न मिलने से खतरा बढ़ रहा है।
फर्जी कॉल्स का भयावह रूप
फर्जी कॉलर्स अपनी शिकायतें सुनाने या मस्ती के लिए 108 नंबर पर फोन करते हैं। कोई गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप की आपबीती सुनाता है, तो कोई पेट्रोल खत्म होने का बहाना बनाता है। कुछ लोग शराब या खाना ऑर्डर करने जैसे बेतुके अनुरोध करते हैं। कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में 12.89 लाख कॉल्स में 1.02 लाख फर्जी थे, जबकि जुलाई में 14.93 लाख कॉल्स में 1.29 लाख फर्जी। कुछ कॉलर्स 150-200 बार बिना वजह कॉल कर स्टाफ को तंग करते हैं, खासकर महिला कर्मचारियों को निशाना बनाते हैं। इससे कॉल सेंटर पर हर मिनट 50 से अधिक अनावश्यक कॉल्स का बोझ पड़ रहा है।
असर और चुनौतियां
इन फर्जी कॉल्स का सबसे बड़ा नुकसान असली जरूरतमंदों को हो रहा है। एक झूठी कॉल से एम्बुलेंस व्यस्त हो जाती है, और जब तक वह लौटती है, तब तक कोई मरीज दम तोड़ सकता है। तरुण सिंह परिहार जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि मानवीय जीवन के साथ खिलवाड़। कॉल सेंटर स्टाफ मानसिक रूप से थक चुका है, और सेवा की दक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। प्रदेशभर में 108 सेवा का उपयोग सवारी के रूप में भी होने की शिकायतें सामने आ रही हैं, जो स्थिति को और जटिल बनाती है।
कार्रवाई की तैयारी
अब फर्जी कॉलर्स पर सख्ती का मन बनाया गया है। कंपनी नंबरों को ट्रैक कर कानूनी कार्रवाई की योजना बना रही है। जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को फर्जी कॉल्स के खतरों के बारे में बताया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे मामलों में तत्काल रिपोर्ट दर्ज हो। यदि यह प्रवृत्ति नहीं रुकी, तो 108 सेवा की विश्वसनीयता दांव पर लग जाएगी। नागरिकों से अपील है कि आपातकाल में ही 108 का उपयोग करें, ताकि जीवन बचाने वाली यह सेवा अपना उद्देश्य पूरा कर सके।








