Apr 1, 2019
धर्मेन्द्र शर्मा : ग्वालियर की सेंट्रल जेल में अपने अपराधों की सजा काट रहे कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मशीन से गोबर की ईंटे बनाना सिखाया जा रहा है,जिससे सजा पूरी होने के बाद वह अपना जीवन यापन कर सकें।
दरअसल जेल की गौशाला में गाय के जिस गोबर को अनुपयोगी समझ कर फेंक दिया जाता था, उस गोबर से अब रोजाना कैदी गोबर की ईंट तैयार कर रहे है। तैयार की जा रही इन ईटों को अभी जेल में होने वाली रोजमर्रा के कामों में उपयोग लाया जा रहा है, लेकिन आगे चलकर इन्हें मुक्तिधाम में भी सप्लाई किया जाएगा।
जेल अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी की अपेक्षा गोबर से बने ईंट नुमा कंडे अच्छी आग पकड़ते हैं और ज्यादा देर तक जलते हैं जिससे इनका ज्यादा देर तक उपयोग किया जा सकता है और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। जन सहयोग से जेल को मुहैया कराई गई इस ईंट नुमा कंडे तैयार करने वाली मशीन से ईंट को तैयार करने में ज्यादा लोग भी नहीं लगते है। सिर्फ दो लोग आसानी से इसे तैयार कर सकते हैं अभी केंद्रीय जेल में करीब दो दर्जन से ज्यादा कैदी इसे बनाना सीख रहे हैं। साथ ही यह इस्तेमाल में लाई जाने वाली लकड़ी की अपेक्षा काफी सस्ती पड़ती है। फिलहाल जेल प्रबंधन ने काफी संख्या में इन गोबर की ईटों को इकट्ठा कर लिया है और जल्द ही इन्हें बाहर सप्लाई किया जाएगा।