Nov 3, 2025
अधूरे हाईवे पर फसल सुखाने का अनोखा नजारा: किसानों की मजबूरी बनी विकास का आईना
शेख आसिफ खंडवा : मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में इंदौर-मुक्ताईनगर नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य जोरों पर है। धनगांव से बड़वाह तक का 45 किलोमीटर लंबा खंड अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ, जिसकी वजह से इसे वाहनों के लिए खोला नहीं जा सका। लेकिन इस अधूरे रास्ते पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है। आसपास के गांवों के किसान अपनी फसल सुखाने के लिए इस निर्माणाधीन सड़क का सहारा ले रहे हैं। धूप की तपिश और चौड़ी सतह पर बिखरी फसलें ऐसा लगता है मानो हाईवे की सड़कें अस्थायी खेत बन गई हों। यह नजारा न सिर्फ किसानों की सादगी को दर्शाता है, बल्कि विकास और ग्रामीण जीवन की मजबूरी का भी जीवंत चित्रण करता है।
किसानों की मजबूरी और चतुराई
बड़वाह बायपास पर हाल ही में दर्जनों किसानों ने अपनी मक्का की फसल को सड़क पर फैला दिया। सुबह-सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉली लादकर पहुंचे ये अन्नदाता, फसल को सावधानी से बिछाते हैं ताकि धूल-मिट्टी न लगे। "घर के आंगन में जगह कम है और खुले मैदान में जानवरों का डर रहता है। यहां हाईवे पर धूप सीधी पड़ती है, फसल दो-तीन दिन में ही सूख जाती है," बताते हैं बड़वाह के किसान रामलाल पटेल। उनका कहना है कि मानसून के बाद की नमी से फसल खराब होने का खतरा रहता है, इसलिए यह अस्थायी उपाय अपनाना पड़ता है। इसी तरह धनगांव के आसपास चावल, सोयाबीन और अन्य फसलों को सुखाने के लिए सड़क का इस्तेमाल बढ़ रहा है। निर्माण कार्य के कारण सड़क पर मशीनें और मजदूरों की हलचल कम होने से यह जगह किसानों के लिए सुरक्षित लगती है। हालांकि, कभी-कभी इंजीनियरों को फसल हटाने की सलाह देनी पड़ती है, लेकिन किसान हंसते हुए कहते हैं, "ये हमारा हाईवे है, थोड़ा कर्ज चुकता कर रहे हैं!"
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक, यह खंड जून 2025 तक पूरा हो जाएगा। इसमें सात पुल और अंडरपास बन रहे हैं, जो खंडवा से इंदौर की दूरी को दो घंटे कम करेंगे। लेकिन फिलहाल, यह अधूरापन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। एक स्थानीय युवा किसान ने मजाक में कहा, "जब हाईवे खुल जाएगा, तो हमारी फसलें ट्रक पर लदेंगी, लेकिन तब तक तो ये सड़क हमारी धूप सुखाने वाली दोस्त बनी रहेगी।"
विकास और परंपरा का संगम
यह दृश्य हाईवे के कई हिस्सों में दिख रहा है, जो ग्रामीण भारत की अनुकूलन क्षमता को उजागर करता है। एक ओर जहां करोड़ों का प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर किसान अपनी परंपरागत जरूरतों को आधुनिक निर्माण से जोड़ रहे हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या निर्माण एजेंसियों को स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए? जैसे अस्थायी सुखाने क्षेत्र चिह्नित करना। कुल मिलाकर, यह घटना विकास की रफ्तार और किसानों की जिंदादिली का मजेदार मेल है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। किसान कहते हैं, "हाईवे बनेगा तो फायदा सबका, लेकिन अभी तो ये हमारी फसल की जान है!"
Under-construction highway# Farmers drying maize# Khandwa rural innovation# Crop drying on roads# National highway delay







