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उज्जैन में चंद्रमौलेश्वर रूप धारण कर महाकाल ने बरसाई कृपा, कार्तिक शुक्ल तृतीया पर भव्य सवारी का नजारा

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Nov 3, 2025

उज्जैन में चंद्रमौलेश्वर रूप धारण कर महाकाल ने बरसाई कृपा, कार्तिक शुक्ल तृतीया पर भव्य सवारी का नजारा

मयंक गुर्जर उज्जैन:  कार्तिक मास की पवित्र बेला में उज्जैन नगरी भगवान महाकालेश्वर की दिव्य ऊर्जा से सराबोर हो उठी। आज शाम, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान ने चंद्रमौलेश्वर के आकर्षक स्वरूप में अपनी दूसरी सवारी निकालकर भक्तों को असीम आनंद प्रदान किया। मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रों की ध्वनि और अगरबत्ती की सुगंध के बीच पूजन के बाद बाबा प्रजा दर्शन के लिए सजे-धजे नगर की सड़कों पर उतरे। यह सवारी न केवल धार्मिक उत्सव का प्रतीक बनी, बल्कि शहरवासियों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करने वाली साबित हुई। हजारों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़े, मानो स्वर्गीय दर्शन का अवसर प्राप्त हो।

सवारी का भव्य मार्ग और क्षिप्रा स्नान का विहंगम दृश्य

महाकाल मंदिर से प्रस्थान होते ही सवारी ने राजसी ठाठ-बाट अपनाया। गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी जैसे जीवंत बाजारों को पार करते हुए यह पालकी राम घाट पहुंची, जहां मां क्षिप्रा के शीतल जल से भगवान का विशेष अभिषेक किया गया। यह क्षण अत्यंत रोमांचक था—नदी तट पर दीपों की मालाएं सजाई गईं, और भक्तों ने फूलों की वर्षा कर बाबा का हार्दिक स्वागत किया। आगे सवारी गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुनः गुदरी चौराहा से गुजरकर मंदिर लौटी। पूरे रास्ते में महाकालेश्वर बैंड और पुलिस बैंड की धुनें, घुड़सवार दलों की सजावट तथा सशस्त्र बल की सतर्कता ने दृश्य को फिल्मी बना दिया।

जयकारों की गूंज में डूबा उज्जैन, भक्तों का अभूतपूर्व उत्साह

सवारी के दौरान 'जय श्री महाकाल' के नारे आकाश छूते रहे, मानो पूरा शहर एक जयकारों का महासागर बन गया हो। श्रद्धालुओं ने मोबाइल फोन ऊंचे उठाकर बाबा की झलक कैद करने की होड़ लगाई, तो कई ने पारंपरिक ढंग से फूल मालाओं से अर्घ्य चढ़ाया। एक बुजुर्ग भक्त ने बताया, "यह दर्शन जीवन की थकान मिटाने वाला अमृत है।" युवा पीढ़ी ने सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट साझा कर उत्सव को डिजिटल दुनिया तक पहुंचाया। महिलाओं ने विशेष पूजा अर्चना कर पारिवारिक सुख की कामना की, जबकि बच्चे बैंड की धुन पर थिरकते नजर आए। यह सवारी भक्ति और संस्कृति का अनोखा संगम बनी, जहां हर कोना आध्यात्मिक ज्योति से जगमगा उठा।

भक्तों में व्याप्त उत्साह देखते ही बन था। मंदिर समिति के सूत्रों के अनुसार, अगली तृतीय सवारी 10 नवंबर को और चतुर्थ राजसी सवारी 17 नवंबर को निकलेगी। इन अवसरों पर भी शहर और भी रंगीन हो जाएगा। महाकाल की कृपा से कार्तिक मास उज्जैन के लिए स्मृति बनकर रहेगा।

Report By:
Monika