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Janmashtmi 2022: हर जगह जन्माष्टमी की धूम, जाने कैसा होगा श्रीकृष्ण का श्रंगार

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Aug 18, 2022

Bhopal: वृद्धि व ध्रुव योग के शुभ संयोग में शुक्रवार को धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त से ही विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ शुरू होंगे। रात्रि 12 बजे घड़ी की सुईयों के मिलन के साथ ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी शुक्रवार को वृद्धि और ध्रुव योग में भगवान श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में मनाया जाता है, जो कि 19 अगस्त को रहेगा। 18 अगस्त को सप्तमी तिथि रात 9:20 तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी की तिथि शुरू होगी, जो कि 19 अगस्त तक रहेगी।

जन्माष्टमी के लिए शहर के लक्ष्मीनारायण मंदिर बिड़ला में सजावट की सभी तैयारियां हो गई है। मंदिर में शुक्रवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। रात्रि एक बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहेगा। भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए है। मंदिर के मैनेजर केके पांडे ने बताया कि शाम साढ़े सात बजे से भजन संध्या का आयोजन किया है। दादाजी धाम मंदिर रायसेन रोड में ब्रह्मï मुहूर्त से कार्यक्रम शुरु होंगे। श्री चार भुजाजी मेवाड़ मंडल द्वारा पांच नंबर स्टाप शिवाजी मंदिर में रात्रि कार्यक्रम शुरू होंगे। मां दुर्गा धाम नौ माताएं मंदिर अशोक विहार में जन्मोत्सव की विशेष तैयारियां की गई है। श्रीजी मंदिर में प्रभु श्रीनाथ के वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। विशेष वस्त्र बनाए जा रहे हैं।

उज्जैन में बनी पौशाक अफ्रीका जाएगी
उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में इस जन्माष्टमी पर (19 अगस्त) श्रीकृष्ण को जापानी मोतियों से जड़ी रेशम की पोशाक पहनाई जाएगी। सिल्क के कपड़े पर रेशम के धागे से तोते और गुलाब उकेरे गए हैं। श्रीकृष्ण के अलावा मंदिर में विराजित बलराम, राधा के लिए भी पोशाकें बनाई जा रही हैं। बंगाल से बुलाए गए 12 कारीगर 3 महीने से कुल 6 पोशाकें तैयार कर रहे हैं। कीमत 6 लाख रुपए से ज्यादा है। सिर्फ श्रीकृष्ण की पोशाक की कीमत 1.50 लाख से अधिक है। बता दें, उज्जैन में श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम ने गुरु संदीपनि के आश्रम में अध्ययन किया था।

भगवान श्रीकृष्ण की पोशाक में उपयोग की गई अधिकांश सामग्री जापान से मंगवाई गई है। जापान से आए मोतियों से ही कढ़ाई की जा रही है। खास धागे मुंबई से तो सिल्क का कपड़ा दिल्ली से मंगाया गया है। कुछ सामान बनारस से भी मंगवाया है। पोशाक को फाइनल टच दिया जाना बाकी है। साउथ अफ्रीका के इस्कॉन टेंपल के लिए भी यहीं उज्जैन में पोशाक बनाई जा रही है।

सिल्क से की जा रही कारिगरी
भगवान की पोशाक बनाने में निर्मला नंद दास, पंकज दास, विजय, बाबूसोना, षट्भुज प्रकाश, ब्रजेंद्र दिवाकर दीप समेत अन्य कारीगर जुटे हैं। ये सभी हाथों से नक्काशी और कारीगरी कर खूबसूरत पोशाक बना रहे हैं। जगन्नाथ भगवान, सुमित्रा महारानी और बलदेवजी के वस्त्र जापानी मोती, जापानी कढ़ाई और हैवी सिल्क के कपड़े से तैयार की जा रही है। कारीगर निर्मला दास ने बताया कि हर बार पोशाक को नए डिजाइन में तैयार करते हैं। इस बार भगवान की पोशाक में फूल और तोते को बनाया गया है। पोशाक में लगने वाला मटेरियल आमतौर पर बिकने वाले सिल्क से चार गुना महंगा होता है।