Oct 4, 2021
विनोद शर्मा | बुजुर्गों के उत्पीड़न के मामले में ग्वालियर पुलिस ने 96% केस बिना कोर्ट कचहरी के ही सुलझा लिए। खास बात यह रही कि कोविड काल में जिन बहू बेटों ने अपने घर में बुजुर्गों का उत्पीड़न किया उनमें से ज्यादातर ने गलती मान कर माफी मांगी और विवाद खत्म कर दिए।
काउंसिलिंग कर सुलझाए गए पारिवारिक विवाद
कोरोना काल में हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं, लाखों लोगों के रोजगार बंद हो गए। किसी का कारोबार ठप हो गया। तो किसी पर घर परिवार की जिम्मेदारी का दबाव बढ़ गया। लेकिन इन सबके मायने ये नहीं कि घर में अपने मां-बाप या सास-ससुर को ताने दिए जाएं। उनकी जमा पूंजी को खर्च कर लिया जाए और जब कुछ न बचे तो घर से बाहर निकाल दिया जाए। इस तरह की सैकड़ों शिकायतें ग्वालियर पुलिस की आलंबन सेल में पिछले 9 महीने पहुंची। बुजुर्गों को सबसे ज्यादा पीड़ा देने वाला समय मार्च 2021 से जून 2021 तक रहा। यानी कोरोना के दौरान जब लॉकडाउन हुआ तो कई बुजुर्गों को पीड़ा सहनी पड़ी।
96% बुजुर्गों के साथ की गई ज्यादती
यह मामले जब ग्वालियर पुलिस की आलंबन सेल में आए तो काउंसलर की मदद से पारिवारिक विवाद सुलझाने की कोशिश की गई। आप भी यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस तरह के केसों में 96% बुजुर्गों के उत्पीड़न के मामले में बहू और बेटे ने खुद आकर माफी मांगी और विवादों को पुलिस की आलंबन सेल की मध्यस्थता से सुलझा लिया।
ज्यादातर मामले कोरोना काल के है
ग्वालियर पुलिस की आलंबन सेल में आए इन शिकायत आवेदनों में ज्यादातर कोरोना काल के ही हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि घर में बुजुर्गों को खुश नहीं रखा गया। बहू और बेटे ने कई बुजुर्गों को तो घर से बाहर निकाल दिया। ऐसे दर्जनों मामले पुलिस की आलंबन सेल में दर्ज हैं। जिनमें बेटे और बहुओं ने माफी मांग कर बुजुर्गों को मना लिया। निराकरण के बाद किसी की दोबारा शिकायत नहीं मिली है इसके मायने यह है कि उनके घरों में अब शांति है।