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MP : भगवान श्री कृष्ण को मध्यप्रदेश की धरती से रहा खास लगाव , यहीं से शिक्षा , शास्त्र और शस्त्र भी मिले..

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Aug 24, 2024

भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से पूरा विश्व अच्छे से परिचित है. भगवान कई जगाहों पर रहे और धर्म की रक्षा का पाठ पढ़ाया. ऐसे में बात करे मध्यप्रदेश की तो ऐसा लगता है की भगवान कृष्ण का मध्यप्रदेश के एक विशेष लगाव है. अपनी पढ़ाई को लेकर यहां आना हो या फिर दोस्ती और प्रेम का सच्चा अर्थ दुनिया को बताना हो. यहां तक की धर्म की रक्षा करने के लिए जो सुदर्शन चक्र कृष्ण ने इस्तमाल किया वो भी उन्हे यहीं दिया गया था. तो दोस्ती , प्रेम , शास्त्र और शस्त्र श्री कृष्ण को जहां से मिले , उसे आज मध्यप्रदेश कहते है... 

यहां जानते है मध्यप्रदेश के उन स्थलों के बारे में जहां से श्री कृष्ण का लगाव है..

उज्जैन

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन को इतिहास और पौराणिक कथाओं को लेकर जाना जाता है. यहां के राजा तो महाकाल है लेकिन उज्जैन से भगवान श्री कृष्ण के जुड़ाव की कथायें भी प्रचलित है. कहा जाता है की उज्जैन में ही श्री कृष्ण ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ पढ़ाई पूरी करी थी. उज्जैन में स्थित संदीपनि आश्रम में कृष्ण भगवान ने गुरु संदीपनि से शिक्षा प्राप्त की और कहा जाता है की जब कृष्ण 12 साल के थे तब वे उज्जैन में आये थे. यहां 64 दिन की शिक्षा में कृष्ण ने 14 विधाओं , चौसठ कलाओं और वेदों का ज्ञान भी प्राप्त किया था. आज भी श्री कृष्ण की शिक्षा भूमी यानी की उज्जैन के संदिपनि आश्रम में भक्तजन श्री कृष्ण के दर्शन को जाते है और उनके बाल स्वरुप के दर्शन करते है.   

 जानापॉव

मध्यप्रदेश के इंदौर से कुछ 45 किलोमीटर दूर एक पहाड़ है. यह पहाड़ आज भी पूरी तरह से जंगल से घिरा हुआ है. पौराणिक कथाओं की माने तो यह वहीं जगह है जहां पर भगवान विष्णु के छठें अवतार परशुराम के जन्म लिया था. खास बात तो यह है की भगवान श्री कृष्ण ने जिस सुदर्शन चक्र से धर्म की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े , वहीं सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण को परशुराम भगवान ने इसी जगह पर दिया था. आज इंदौर के पास इस पहाड़ी को जनापांव के नाम से जाना जाता है.  अपने आध्यातमिक इतिहास और प्रकृतिक सुंदरता को लेकर मध्यप्रदेश का जनापांव भगवान परशुराम और भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच एक खास जगह बना हुआ है..   

नारायण धाम , उज्जैन जिला 

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में एक औऱ मंदिर है जो अपने आप में बहुत दुर्लभ है. कहा जाता है की उज्जैन की महिदपुर तहसील से कुछ 9 किलोमीटर की दूरी पर नारायण धाम है. यह एकमात्र मंदिर है जो दोस्ती को समर्पित है. कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को. इस मंदिर में कृष्ण भगवान अपने दोस्त सुदामा के साथ ही विराजित है. उज्जैन के संदिपनि आश्राम में श्री कृष्ण औऱ सुदामा की दोस्ती हुई थी. भागवत पुराण के दसवें स्कंद में इस स्थान का जिक्र होता है. अपनी गुरुमाता के आदेश का पालन करते हुए जब श्री कृष्ण और सुदामा जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने लगे तब तेज़ बारिश होने लगी और फिर रात हो गई. जिसके बाद दोनो मित्र इसी जगह पर रुके थे. आज भी इस मंदिर में लकड़ी के कुछ गट्ठर रखे हुए है. बताया जाता है की ये वहीं गट्ठर है जिन्हे कृष्ण और सुदामा ने इकट्ठा किये थे. इस मंदिर को दोस्ती का मंदिर भी कहा जाता है

आमझेरा धाम , धार जिला 

मध्यप्रदेश के धार जिले में आमझेरा धाम है. यहां पर अमका-झमका माता मंदिर है. पौराणिक कथाओं की माने तो यह वहीं जगह है जहां से श्री कृष्ण ने रुकमणी का हरण किया था. कहा जाता है की जिस रथ से कृष्ण ने रुकमणी का हरण किया था उस रथ के निशान आज भी मंदिर के पीछे मौजूद है.  

Report By:
Devashish Upadhyay.