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नेपानगर में अन्नदाता परेशान, फसलों को जलाने और फेंकने को मजबूर

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Nov 17, 2019

मनीष जायसवाल : नेपानगर में किसानों का हाल खराब है, आज अन्नदाता परेशान नजर आ रहा है अपनी फसलों को जलाने और फेंकने को मजबूर है, लेकिन इस ओर जिम्मेदारों का ध्यान तक नहीं है। हम बात कर रहे हैं नेपानगर के किसानों की जो अतिवृष्टि को लेकर सरकार से गुहार लगाने को मजबूर है पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने वर्चस्व की लड़ाई में किसानों को भूलकर आपस मे उलझी हुई है, जिससे नुकसान किसानों का हो रहा है। देखिए रिपोर्ट.....

मध्यप्रदेश अतिवृष्टि से परेशान
नेपानगर के साथ आज हम देख सकते हैं पूरा मध्यप्रदेश अतिवृष्टि को लेकर कितना परेशान है लेकिन सबसे ज्यादा परेशान आज किसान नजर आ रहा है। नेपानगर तहसील के 85 गांवों में करीब 696 किसानों की 500 हैक्टेयर में लगी ज्वार, सोयाबीन और मक्का की फसल खराब हुई है लेकिन कुछ खेत मे मौसम के हिसाब अन्य फसल भी लगाई जाती है। वहीं कपास को भी नुकसान हुआ है। इस वर्ष अधिक वर्षा होने के कारण किसानों की फसलें खराब हो गई है जिससे किसान फसल फेकने और जलाने को मजबूर है, क्योंकि उन्हें इस फसल का सही भाव भी नहीं मिल पायेगा, साथ ही उसकी कटाई के लिए जितने पैसे मजदूरों को देने पड़ेंगे उससे कम में फसल बिकेगी। वहीं दूसरी फसल लगाने के लिए किसान को पहले वाली फसल कटवाना भी मजबूरी बन गई है। जिन्होंने फसल कटवा ली है उनको भी सही दाम नही मिल पाया है क्योंकि फसल पूरी काली पड़ चुकी है और नमी आने के कारण व्यपारी भी किसान को सही दाम नहीं दे सकता। यहाँ हालात इतने खराब है कि फसले देखकर भी किसान ये उमीद लगा रहा है कोई सहारा मिल जाये।

गांवों में अभी तक नहीं हुआ सर्वे
नेपानगर में किसानों ने सर्वे कर मुआवजे की बात भी कही है लेकिन उनके गांव में अभी तक कोई सर्वे भी नही हुआ है। इस साल किसानों ने दीवाली और खोपड़ी ग्यारस भी धूम धाम से नहीं बनाई है, जिनके खेत में अभी ज्वार और सोयाबीन लगी है वो किसान फसलों को देखकर ही परेशान हो जाते है या उनकी आँखों से आंसू निकलने लगते है। सोयाबीन के तो ये हाल है कि खड़ी फसल भी सड़ गई है और ज्वार खड़े-खड़े काली पड़ने लग गई है, तो जिन्होंने फसल काटली है उनकी फसल में दोबारा अंकुर आने लगे है वहीं कपास के फूल गिरने के साथ कीड़े लगने लगे है इसलीए किसान अपनी फसल को जलाने को मजबूर है। किसान खेत मे बैठकर उस काली पड़ चुकी फसल को निहारता है लेकिन मन दुखी कर अपने आंसू भी झलकाता है। प्रसाशनिक अधिकारियों से भी उनको आश्वासन ही दिया जा है इसलीए किसान सरकार की ओर एक आशा भरी निगाहों से देख रहा है ताकि कोई उन्हें मुआवजे को लेकर संतुष्ट कर सकें।

भाजपा कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई
नेपानगर क्षेत्र का किसान परेशान है लेकिन भाजपा कांग्रेस आपस में अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही है जिससे नुकसान किसान का ही हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र की विधायक द्वारा किसानों की समस्या लेकर कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया जा चुका है, जिसमें केंद्र सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर आरोप प्रत्यारोप किया गया है। वहीं किसानों के प्रति भाजपा का कहना है पहले कांग्रेस किसानों के नुकसान का आंकलन तो करे, सर्वे में बताए तो कितना पैसा चाहिए जब कुछ किया जाएगा।

किसानों की फसलों का अभी तक नहीं हुआ सर्वे
बता दें नेपानगर क्षेत्र में बहुत से ऐसे भी गांव है जहाँ किसानों की फसलों का अभी तक सर्वे भी नहीं हुआ है, इस पर कुछ महीने पहले आये प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने भी प्रशासनिक अमले को सर्वे करने को कहा था जिससे किसान की खराब हुई फसलों का आंकलन हो सके। वहीं तहसीलदार कहते है एक आंकलन हमारे द्वारा दे दिया गया है और सर्वे भी पूर्ण हो चुका है लेकिन किसानों का कहना कुछ और है। अब देखना ये होगा किसान ऐसे ही भाजपा कांग्रेस में उलझा रहेगा या अन्नदाता को राज्य और केंद्र सरकार से सहायता के रूप में मुआवजा मिल पायेगा।