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नगरीय निकाय चुनाव : अब महापौर और अध्यक्ष पद पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का रास्ता साफ

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Oct 10, 2019

दीपिका अग्रवाल : राज्यपाल से मिली हरी झंडी के बाद प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में अब महापौर और अध्यक्ष पद पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का रास्ता साफ़ हो गया है,इसके बाद अब प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में समीकरण बदलना शुरू हो गए है। जहाँ कांग्रेस के नेता प्रदेश सरकार के इस फैसले को प्रदेश हित और शहरों के विकास के लिए लाभदायक बता रहे है, वहीं भाजपा के नेता इसे जनता के अधिकारों का हनन बताते हुए अभी भी इसकी खिलाफत कर रहे है।

प्रस्ताव को बताया नियमों की अनिवार्यता...
हालांकि राज्यपाल से इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी को नियमों की अनिवार्यता बताया जा रहा है। दरअसल, सरकार द्वारा प्रदेश के सभी निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद को अप्रत्यक्ष रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास किया था, जिसे लागू करवाने के लिए राज्यपाल को भेजा गया था, इस प्रस्ताव को एक बार राज्यपाल द्वारा वापस कर दिया गया था, जिसके बाद इस प्रस्ताव को दोबारा भेजा गया था, जिसपर राज्यपाल ने हस्ताक्षर पर इसे पारित कर दिया, जिसके बाद प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों में अब महापौर का चुनाव सीधे जनता से ना होते हुए, पार्षदों के द्वारा किया जायेगा। 

नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक
कांग्रेस के नेता इस फैसले पर खुश नज़र आ रहे है, इस मामले में इंदौर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि जिस तरह से इंदौर में महापौर द्वारा पार्षदों की अनदेखी की जा रही थी, जिसमें ना सिर्फ कांग्रेस के पार्षद शामिल थे, बल्कि भाजपा के पार्षदों का भी यही हाल था, उसी को लेकर उनके द्वारा सीएम से इसकी शिकायत की गयी थी।

प्रदेश सरकार के इस बदलाव से जनता के अधिकारों का होगा हनन
वही प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर उन्होंने सभी को धन्यवाद दिया है, वही प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर स्वास्थ मंत्री तुलसी सिलावट ने भी समर्थन किया। वही राज्यपाल से मिली महापौर के चुनाव में बदलाव पर स्वीकृति को भाजपा नेताओं ने नियमो की अनिवार्यता बताया है, उनका कहना है कि तय नियमों के तहत राज्यपाल किसी भी प्रस्ताव को सिर्फ ही बार वापस कर सकते है, और अगर वही प्रस्ताव कैबिनेट से दोबारा उनके पास जाता है, तो उन्हें उसपर स्वीकृति देनी ही होती है। लेकिन भाजपा के नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार के द्वारा किये गये इस बदलाव से जनता से अधिकारों का हनन होगा।