Loading...
अभी-अभी:

रायसेन : स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपचार के लिए मिलने वाली सरकारी राशि हड़पने का मामला उजागर

image

Nov 28, 2019

इलयास खान : आंगनबाड़ी के बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों का सरकार अपने खर्चे पर नि:शुल्क उपचार कराती है, इसी सरकारी योजना की आड़ में स्वास्थ्य विभाग का अमला और प्राइवेट अस्पताल मिलकर घिनौना खेल खेल रहे हैं। स्वस्थ बच्चों को भी बीमार बनाकर आपरेशन के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब शहर की बच्ची डाली 4 वर्ष को दिल में छेद की बीमारी बताकर स्वास्थ्य अमला आपरेशन के लिए अहमदाबाद भेज रहा था। परिजनों ने लोगों की सलाह पर दूसरी जगह बच्ची की जांच कराई तो वह पूरी तरह से स्वस्थ निकली, उसे कोई बीमारी नहीं थी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने की जांच 
मामला शहर के वार्ड 12 पटेल नगर का है, यहां रहने वाले तेजराम की 6 साल की बेटी डॉली की करीब 3 महीने पहले आंगनबाड़ी में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की। जांच करने आई डॉ. प्रिया कोली ने आला लगाकर ही कह दिया कि डॉली के दिल में छेद हैं। उसकी बड़ी जांचें करानी पड़ेंगी।  5 अक्टूबर को वे परिजनों के साथ डॉली को अन्य चिन्हित बच्चों के साथ इंदौर सत्यसांई हॉस्पिटल ले गई, जहां जांच उपरांत पुष्टि कर दी गई कि डॉली के दिल में छेद हैं, उसका आपरेशन कराना पड़ेगा, लेकिन परिजनों को कोई जांच रिपोर्ट व दस्तावेज नहीं दिया गया। उन्हें अहमदावाद के अस्पताल का पता और 15 अक्टूबर आपरेशन की तारीख दे दी गई। 

परिजनों ने रिपोर्ट की जांच दूसरे अस्पतालों में करवाई
इंदौर से लौटने के बाद घबराए परिजनों ने अपने परिचितों से सलाह ली तो उन्होंने एक बार और प्राइवेट जांच कराने को कहा। इसके बाद परिजनों ने भोपाल के अनंतश्री अस्पताल में ईको कराई, जिसमें बच्ची के दिल में कोई बीमारी नहीं होने की बात सामने आई है। यह रिपोर्ट परिजनों ने दूसरे डाक्टरों को भी दिखाई, लेकिन सभी ने कहा कि डॉली को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि स्वास्थ्य विभाग की जिस डॉक्टर ने बच्ची की जांच की थी, उसने बिना किसी आधार के सिर्फ संदेह पर बच्ची के दिल में छेद होने की पुष्टि कर दी। बताया जाता है कि आंगनबाड़ी में जांच के लिए गई डॉ. प्रिया कोली के पास बीएचएमएस की डिग्री है। ऐसे में जरूरी था कि यदि बच्ची में बीमारी के लिए कोई लक्षण थे, जो उसे जिला अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टरों को दिखाना था, उसके बाद उनके मागदर्शन पर बड़ी जांच के लिए भेजा जाना था। 

सरकारी सहायता राशि को हड़पने ​का मामला
दरअसल यह पूरा खेल इलाज के लिए मिलने वाली सरकारी सहायता को हड़पने के लिए खेला जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस काम में लगा अमला दो तरह से सरकार को चूना लगा रहा है। पहला तो ये कि इन्हें ऐसे बच्चों को चिन्हित करने और उनका उपचार कराने की जिम्मेदारी है, किसी भी बच्चे को बीमार बताकर वह आसानी से अपना लक्ष्य पूरा कर लेते हैं, दूसरा ऐसे मामलों में चिन्हित अस्पतालों से सांठगांठ कर सरकारी सहायता की राशि की बंदरबांट होती है। बताया जा रहा है दिल की बीमारी के मामले में शासन एक केस पर करीब 4 से 5 लाख रुपए तक खर्च करता है। जब स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने पीड़ित बच्ची के परिजनों से बात की तो बच्ची की दादी ने बताया।आंगनबाड़ी में चैकअप के बाद डायरेक्ट मैडम बोलने लगी की बच्ची के दिल में छेद है। इसके बाद सीएमएचओ आफिस बुलाया और वहां से गाड़ी से इंदौर ले गई, जहां जांच के बाद कह दिया कि दिल में छेद और हमें अहदाबाद के अस्पताल का पता भी दे दिया, लेकिन बच्ची की जांच संबंधी कोई रिपोर्ट हमें नहीं दी गई। हमसे कहा गया कि ये सब यहीं जमा रहेंगी। इसके बाद हमने भोपाल में जांच कराई, तो सब रिपोर्ट नार्मल आई हैं। अब सवाल यह उठता है कि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी साथ मिलकर शासन की योजनाओं का किस तरह से दुरुपयोग कर रहे हैं।