Loading...
अभी-अभी:

भीलवाड़ा मॉडल की सफलता को देखते हुये इसे पूरे देश में लागू करने पर विचार

image

Apr 8, 2020

भीलवाड़ाः लॉकडाउन के बावजूद देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में सरकार उन उपायों पर विचार कर रही है जिससे कोरोना के बढ़ते मामलों को रोका जा सके। इनमें भीलवाड़ा मॉडल भी एक है और इसे पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के मामलों को रोक कर भीलवाड़ा इस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि इस मॉडल ने यह दिखाया है कैसे कोरोना जैसे खतरनाक वायरस पर काबू पाया जा सकता है। यही कारण है कि अब इस मॉडल को देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

आखिर क्या है भीलवाड़ा मॉडल

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर भीलवाड़ा मॉडल है क्या? आखिर क्यों यह मॉडल चिकित्सा विशेषज्ञों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अफसरों को रास आ रहा है? दरअसल भीलवाड़ा में एक डॉक्टर के कोरोना से संक्रमित होने के बाद वहां संक्रमण के मामलों में काफी तेजी दर्ज की गई और कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 27 तक पहुंच गई। लेकिन उसके बाद भीलवाड़ा में इतनी सख्ती की गई कि यह संख्या 27 से ऊपर नहीं जा सकी।

कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील, घर-घर की गई स्क्रीनिंग

कोरोना वायरस के मामलों पर रोक लगाने के लिए भीलवाड़ा में तुरंत कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील कर दी गई और जिले के सभी निजी अस्पतालों और होटलों को अधिग्रहित कर लिया गया। लॉकडाउन को लेकर भी विशेष सख्ती बरती गई और लोगों को घरों से बाहर निकलने से पूरी तरह रोक दिया गया। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों, मीडिया और सामाजिक संगठनों के लोगों पर भी प्रतिबंध लागू किए गए। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने बताया कि हमने सबसे बड़ा काम तो यह किया कि घर-घर स्क्रीनिंग शुरू की और 18 लाख लोगों की जांच की गई। यह आसान काम नहीं था और इसके लिए 15 हजार टीमें बनाई गई थीं। यहां एक दर्जन वरिष्ठ अफसरों की अगुवाई में करीब तीन हजार पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस मॉडल का मुरीद

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भीलवाड़ा में किए गए प्रयास पसंद आए हैं। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बाबत राजस्थान चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार से जानकारी मांगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का भी मानना है कि इस मॉडल को लागू करके कोरोना के संक्रमण के मामलों को काफी हद तक काबू में करने में कामयाबी मिल सकती है।