Loading...
अभी-अभी:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः भोर का उजाला हम ही, हम हैं दीया अंधकार की

image

Mar 8, 2019

भोर का उजाला हम ही, हम हैं दीया अंधकार की।

हर कठिनाईयों से जूझती, हम हैं नारी इस संसार की।।

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और पूरे विश्व में महिलाओं के प्रति आज सम्मान, बधाईयां व शुभ कामनाएं प्रेषित की जा रही है। होनी भी चाहिए, आखिर महिलाएं क्या कम हैं किसी क्षेत्र में। वो उजाले की वो किरण है, जिसके जागने से उसका परिवार जाग उठता है, वो दीये की ऐसी किरण है, जिसकी लौ में हर अंधेरा दूर हो जाता है। चाहे कैसा भी वक्त हो, कैसा भी मुकाम हो, कैसी भी परिस्थिति हो, नारी ने सदा संघर्ष करना ही सीखा है। स्वयं को मिटा कर रचा है नया संसार, नया परिवार, नया जीवन।

जैसे धरा ने दिया है अपनी सामर्थ्य से ज्यादा हमको, वैसे ही नारी न जाने कहां से गजब का हौसला ला कर संभाल लेती है हर हालात को। मगर कहीं तो है कुछ जो छूट रहा है। कहीं कुछ अस्पष्ट सा, तभी तो आज हमें महिला दिवस के लिए दिवस निर्धारण की आवश्यकता पड़ गई।

हमें स्वयं को है पहचानना, हौसलों के साथ है मुस्कुराना  

कहीं कोई कहता है कि हमारा होना हमसे छीना जा रहा है। तो क्या सच में हमारा होना छीना जा रहा है? नहीं, दरअसल हमारा होना हमसे कोई नहीं छीन रहा बल्कि हम ही भूल जाती हैं कि हममें अगर लक्ष्मी, सरस्वती है तो हम में ही दुर्गा व काली भी है। अपने अधिकार के लिए लड़ना जरूरी है। आवाज़ उठानी ज़रूरी है। इस खूबसूरत धरा पर विराजी बेटियां आसमान तो निहार रहीं पर पूरा नहीं। हमें अहसास भी नहीं हो पाता कि हमारी जिंदगी से हम ही मिसिंग हैं। बस हमें स्वयं को पहचानना है, अपनी उस ताकत को खोज निकालना है जो हमें सुपर वुमैन बनाता है। आज की स्त्री को हम सुपर वुमैन कह सकते हैं, क्योंकि वो घर से बाहर तक सब मुस्कुराते हुए संभालती है। तो है न ये हमारी जीत।

आज की महिलाएँ भले ही आधुनिक सोच रखती हो, पार्टियां करती हो पर अपनी खुशी से मंगलसूत्र, करवाचौथ और छठ व्रत भी रखना नहीं भूलती। ऐसी बहुआयामी स्त्री होने का हम गर्व क्यों न करें ! हमें क्यों न मिले भरपूर उड़ान के लिए खुला आकाश! परिवार-समाज में रिश्तों और संवेदनाओं की भी अपनी अहमियत होती है। हर जगह अपना इगो आगे न रख कर, पुरूषों के मन में छुपे अपने प्रति स्नेह का अवलोकन करें। पुरुष का विरोध कर, मोर्चा निकाल कर क्या किसी भी समस्या का समाधान हो सकता है? महिला का अस्त्र ममत्व है, स्नेह है, वो अधिकार हैं जो उसे सशक्त साबित करते हैं। जोड़ने की विचारधारा लेकर चलिए, विचारों की आज़ादी अपनाइए, हौसलों के साथ मुस्कुराइए क्योंकि ये पूरा जहान तुम्हारा है, उड़िये, अपने इरादों के पंख फैलाकर क्योंकि ये आसमान तुम्हारा भी है।