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हिंदी की मशहूर साहित्यकार कृष्णा सोबती का 93 की उम्र में निधन

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Jan 25, 2019

शुक्रवार को हिंदी की जानी मानी साहित्यकार कृष्णा सोबती का निधन हो गया उन्होंने 93 साल की उम्र में आज अंतिम सांस ली बताया जा रहा है कि पिछले की दिनों से उनका स्वास्थ काफी खराब था जिसके चलते उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कृष्णा सोबती हिंदी की प्रमुख गद्य लेखिका थीं उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

मध्यमवर्गीय महिला की आवाज बनकर आईं थी सामने

हिंदी के लिए उनकी अमूल्य योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता साथ ही उनकी कमी भी पूरी नहीं की जा सकती है उन्हें कुछ समय पहले ही सीने में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था हिंदी के मशहूर साहित्यकार ने पाकिस्तान में जन्म लिया था वह अपने उपन्यासों में राजनीति और समाज की नब्ज टटोलने के साथ ही मध्यमवर्गीय महिला की आवाज बनकर सामने आईं।

कई पुरष्कारों से भी किया गया सम्मानित

उपन्यास और कहानी विधा में उन्होंने जमकर लेखन किया कृष्णा की प्रमुख कृतियों में डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार तिन पहाड़, सूरजमुखी अंधेरे के, सोबती एक सोहबत, जिंदगीनामा, ऐ लड़की, समय सरगम, जैनी मेहरबान सिंह जैसे प्रमुख और प्रसिद्द उपन्यास शामिल हैं कृष्णा साहित्‍य अकादमी सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान, शलाका सम्मान, मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कथा चूड़ामणि जैसे पुरष्कारों से भी सम्मानित की जा चुकी है।