Mar 9, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी दो लेन सुरंग देश को समर्पित की है। पीएम मोदी ने 2019 में इस सुरंग की नींव रखी थी. यह सुंरंग करीब 825 करोड़ की लागत से बनी है और इस सुरंग को बनाने में चार साल का समय लगा. इस परियोजना में दो सुरंगें शामिल हैं। चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच इस सुरंग का काफी महत्व माना जा रहा है। सुरंग से तेजपुर से तवांग तक यात्रा का समय एक घंटे कम हो जाएगा। खास बात यह है कि टनल की मदद से हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। सेला दर्रा आमतौर पर सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान कई महीनों के लिए बंद रहता है।
बता दें कि सेला सुरंग चीन सीमा के पास स्थित है। इस बीच सुरक्षा के लिए यह सुरंग महत्वपूर्ण है. सुरंग की ऊंचाई 13000 फीट है. इतनी ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सुरंग है।
सेना को थी जरूरत
यह सुरंग चीनी सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाली है। बर्फबारी के कारण बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग कई महीनों तक बंद रहा। इस बीच सेना को भी असुविधा का सामना करना पड़ा. बता दें कि पहली सुरंग 980 मीटर लंबी है। दूसरी सुरंग 1555 मीटर लंबी है। इस सुरंग से हर मौसम में सेना की आवाजाही हो सकेगी.
सुरंग की वजह से तवांग के रास्ते चीन सीमा तक पहुंचने का रास्ता 10 किलोमीटर कम हो जाएगा. इसके अलावा असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग स्थित सेना मुख्यालय के बीच की दूरी भी कम हो जाएगी. यह सुरंग एलएसी पर सैनिकों तक भारी हथियार पहुंचाने और तत्काल सहायता भेजने में मदद करेगी।
यह सुरंग अरुणाचल प्रदेश के कामेंग जिले में बनाई गई है। आपातकालीन स्थितियों के लिए सुरंग में एक एस्केप ट्यूब भी लगाई गई है। इसके अलावा सुरंगों के बीच 1200 मीटर की सड़क है. दोनों सुरंगें सेना के पश्चिम में दो पहाड़ियों से होकर गुजरती हैं। इस सुरंग की आधारशिला 2019 में रखी गई थी लेकिन कोविड के कारण उद्घाटन में देरी हुई। 1962 के युद्ध में इसी इलाके में चीनी सैनिकों की भारतीय सेना से झड़प हुई थी. चीन ने तवांग शहर पर भी कब्ज़ा कर लिया था. इस बीच ये सुरंग चीन को कड़ा संदेश दे रही है.
