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मरे हुए घोड़े को चाबुक मारकर फिर से सवारी नहीं की जा सकती:सुप्रीम कोर्ट

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Jan 25, 2018

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में साल 2016 में फरवरी में छात्र नेता कन्हैया कुमार पर हुए हमले की जांच की मांग की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। कन्हैया कुमार उस समय जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। दरअसल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर अदालत में पेशी के दौरान कुछ लोगों द्वारा किए गए हमले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई थी। और कन्हैया कुमार के साथ पटियाला हाउस कोर्ट में वर्ष 2016 में 15 और 17 फरवरी को वकीलों ने मारपीट की थी। परिणामस्वरूप न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति ने इस संबंध में कामिनी जयसवाल के द्वारा की गई याचिका में कहा है कि, मारपीट करने वाले दोनों वकीलों पर सख्त कार्यवाही की जानी हो। ओर अदालत ने ये कहकर याचिका ख़ारिज कर दीे कि, इस मुद्दे का अब कोई महत्व नहीं रह जाता। उस पर बहस करने से कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा वकील कामिनी जायसवाल ने तीन वकीलों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी करने की भी मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया। इस याचिका में कहा गया था कि वकील विक्रम सिंह, यशपाल सिंह और ओम प्रकाश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इन तीनों वकीलों ने ही पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया कुमार पर हुए हमले का नेतृत्व किया था। ज्ञात हो कन्हैया कुमार पर JNU विश्वविद्यालय में देशद्रोह के नारे लगाने का आरोप था, हालांकि कन्हैया कुमार उस वक़्त वहां उपस्तिथ नहीं थे। इस संबंध में कोर्ट ने बाद में कन्हैया को 6 माह की जमानत दी थी, लेकिन कोई सबूत नहीं होने के कारण अभी मामला आगे नहीं बढ़ा है। अत: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि इस संबंध में दो साल पहले आदेश जारी कर चुके हैं और अब क्या चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आप मरे हुए घोड़े को चाबुक मारकर फिर से सवारी नहीं कर सकते। हम इस याचिका को आगे जारी नहीं रख सकते।