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कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी घुसने से तीन बच्चों की मौत , सवाल एक ही है , जिम्मेदार कौन ?

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Jul 30, 2024

मानसून का वक्त चल रहा है. कई शहरों में बारिश हो रही है. लेकिन , देखा ये गया की जितनी बारिश नहीं है उससे ज्यादा पानी सड़कों पर दिख रहा है. ऐसे में समस्या का सामना करना पड़ता है उन लोगो को जो रोज़ के काम के लिए अपने घरों के निकलते है. उन बच्चों को जो पढ़ाई के लिए अपने घरों से बहार रहते है. ऐसे में दिल्ली से जो मामाला सामने आया है वो बताता है की अभी तो देश में जो बेसिक डेवलपमेंट है उसकी ही भारी कमी है. वहां पर एक कोचिंग संस्था जिसका नाम राव IAS  बताया गया है , यहां के बेसमेंट में पानी घुसने से तीन जानें चली गई. इसका कारण यह पता चला की कोचिंग के बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही थी. यहीं पर बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. ऐसे में जब बहार सड़क पर पानी ज्यादा भर गया जिस कारण से कोचिंग के बेसमेंट में जाकर पानी भरा गया. अब बेसमेंट में पानी भरा तो वहां का बायोमेट्रिक भी खराब हो गया औऱ पढ़ाई करते हुए बच्चे वहीं पर फंस गये. जब बच्चों को महसूस हुआ की पानी ज्यादा बड़ रहा है तो उन्हे भी गबराहट हुई. जब तक लोगो तक यह बात पहुंची और फिर  पुलिस रेस्क्यू के लिए पहुंची तब पता चला की तीन बच्चों ने अपना दम वहीं तोड़ दिया है. अब इसके बाद वहीं हुआ जो होता है. सड़कों पर उन सभी बच्चो ने अपना विरोध दर्ज किया जो उसी एरिया में रहकर सिविल एग्जाम की तैयारी कर रहे है. विरोध बड़ा को फिर हमेशा के तरह कार्रवाई भी देखी गई.  MCD  ने उन नालों को साफ करना शुरु कर दिया जिनकी वजह से बहार सड़को पर पानी भर जाता था. अब यहीं नाले अगर पहले साफ हो जाते ,जो की होने ही चाहिए थे. क्योकिं हर मानसून के पहले नालों की साफ सफाई करनी होती है ताकी सड़को पर पानी ना भरे. तो शायद उन बच्चों की जिंदगी भी बच जाती. बाद में राव IAS कोचिंग सेंटर के मालिक को गिरफ्तार तो कर लिया गया है, लेकिन , हमेशा की तरह देर बहुत हो गई. अब अगर आरोप प्रत्यारोप भी एक दूसरे पर लगाते रहे तो उससे होगा भी क्या, उन बच्चों की जानें तो चली गई...

 

क्या कोचिंग सेंटर जिम्मेदार ?

अब जब जान चली ही गई है तब भले ही कितने ही आरोप प्रत्यारोप हो जिंदगी तो वापस नहीं आयेगी. लेकिन , यह सवाल अब जरूर चिड़ाता रहेगा की इन मौतों की जिम्मेदारी किसकी है. उस कोचिंग  सेन्टर की है जो बिना परमिशन ही अपने बेसमेंट में लाइब्रेरी चला रहा था. उन लोकल ऑथोरिटी के सत्ताधीशों की जिन्होने अपना काम ठीक से नहीं किया या फिर प्रशासन की जिसे यह तय कर लेना चाहिए था की कानून व्यवस्था उस एरिया में ठीक है की नहीं. कोचिंग सेंटर की फीस की भी थोड़ी चर्चा कर लेनी चाहिए, ऐसा इसिलिए है क्योंकि जब सवाल फीस का आता है तो अक्सर यहीं सुनने में आता है की फीस बहुत ज्यादा है. बच्चों के मात-पिता जैसे तैसे पैसों का इंतजाम कर बच्चों का एडमिशन इन चमचमाती हुई कोचिंग क्लासेस में कराते है. वो बात अगल है की ना तो यहां सिलेक्शन की गारंटी है औऱ ना ही सुरक्षा की.

 

सब खामोश क्यों हो गये ? 

अक्सर सिविल एग्जाम की तैयारी कराने वाले टीचर्स सोशल मीडिया पर छाए रहते है. इतना बड़ा तनाव पैदा हो गया लेकिन अभी तक किसी की भी खामोशी नहीं टूटी है. सब चुप है. बहुत से बच्चे इन्ही टीचर्स से प्रभावित होकर अपना सब कुछ छोड़ कर दिल्ली इसी उम्मीद में आते है की अगर सिविल एग्जाम में सिलेक्ट होते है तो कुछ अच्छा बदलाव ला सकते है. ऐसे में इन टिचर्स की खामोशी इन बच्चों को इस वक्त जरुर बहुत ज्यादा अखर रही होगी.

Report By:
Devashish Upadhyay.