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क्या हरियाणा चुनाव से पहले परेशानी में आ गई है बीजेपी , मुख्यमंत्री कहां से चुनाव लड़ेंगे अब तक तय क्यों नहीं ?

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Sep 3, 2024

चुनाव आयोग ने हरियाणा में मतदान की तारीख बदल दी है. राज्य में अब 5 अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.  इससे पहले, राज्य में 1 अक्टूबर को मतदान होना था और परिणाम 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के साथ घोषित किए जाने थे.  अब दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. बीजेपी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतदान की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस और आप हरियाणा में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ सकते हैं.  इन सबके बीच राज्य में तीसरी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही बीजेपी हरियाणा में कमजोर स्थिति में दिख रही है.

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन, उम्मीदवारों की सूची पर पकड़,  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे इस पर अनिश्चितता और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और पूर्व सांसद संजय भाटिया जैसे वरिष्ठ नेताओं का पार्टी से बाहर होना. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की आज के हालात मेें बीजेपी हरियाणा विधानसभा चुनाव में पीछे दिख रही है. 

आंतरिक सर्वे की माने तो, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को चुनावों में स्पष्ट बढ़त मिल रही है, जिसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां भाजपा को पहले बढ़त मिली थी. सत्तारूढ़ दल एकजुट होने के लिए संघर्ष कर रहा है. पार्टी के एक वर्ग ने दावा किया है कि सरकार, खासकर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के खिलाफ नाराजगी एक बड़ी बाधा बन गई है.

लोकसभा चुनाव नतीजों के सदमे से बीजेपी अभी तक उबर नहीं पाई है

बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी अभी तक लोकसभा चुनाव नतीजों के सदमे से उबर नहीं पाई है. हालाँकि, पार्टी सत्ता विरोधी लहर के प्रति सचेत थी लेकिन राज्य में शीर्ष नेतृत्व में अंतिम समय में बदलाव हुआ. नेतृत्व को भरोसा था कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के दम पर पार्टी आसानी से जीत हासिल कर लेगी.

नेताओं के एक वर्ग का कहना है कि खट्टर को खुद को करनाल तक ही सीमित रखने के लिए कहा जा सकता है, जहां उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव जीता है. वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि इस तरह के कदम से पार्टी के अभियान पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. क्योंकि बीजेपी हमेशा अपने शासन रिकॉर्ड के आधार पर चुनाव में उतरती है. एक नेता से पूछा गया कि अगर करीब 10 साल के मुख्यमंत्री को किनारे रख दिया जाए तो आप वोट कैसे मांगेंगे?

बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों की सूची जारी करने में देरी

बीजेपी द्वारा उम्मीदवारों की सूची घोषित करने में देरी पर भी सवाल उठाया गया है. पिछले 10 दिनों में राज्य इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी शामिल है.

भाजपा सूत्रों ने कहा कि राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 35 पर मतभेद के कारण सूची रुकी हुई है. अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को इनमें से कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है.

जेजेपी के चार बागियों को शामिल करने पर भी नाराजगी जताई

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पूर्व सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के चार बागियों को शामिल करने का फैसला भी पार्टी कैडर के कुछ लोगों को पसंद नहीं आया. चार विद्रोहियों में देवेन्द्र सिंह बबली हैं जिन्होंने 2019 में टोहाना में तत्कालीन राज्य भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला को हराया था, राम कुमार गौतम जिन्होंने नारनौंद में तत्कालीन राज्य कैबिनेट मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराया था, जोगी राम सिहाग जिन्होंने बरवाला में भाजपा के सुरेंद्र पुनिया को हराया था और अनूप धानक जिन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को हराया था.  उकलाना में आशा खेदड़ हार गईं.

जेजेपी के ये सभी पूर्व नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके साथ ही जिन बीजेपी नेताओं को उन्होंने हराया है उनकी भी टिकट पर नजर है. हालांकि, बीजेपी के केंद्रीय सूत्रों ने टिकटों को लेकर किसी भी तरह के भ्रम से इनकार किया है. एक नेता ने कहा, सूची लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन इसे जारी करने में देरी एक रणनीतिक फैसला है. हम अपने प्रतिस्पर्धियों के कदमों का भी इंतजार करते हैं। हमने उम्मीदवारों को सूचित कर दिया है और उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है. कोई वरिष्ठ नेता या वर्ग नाराज न हो, इसे ध्यान में रखकर सूची तैयार की जा रही है.

बीजेपी के लिए चुनौती है नेताओं का पलायन रोकना

एक सूत्र ने कहा, इन दिनों चुनावों में किसी भी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन नेताओं का पलायन रोकना है जो खुश नहीं हैं. हमने अब तक सभी के विचारों और हितों को समायोजित करने का प्रयास किया है. सूची की घोषणा में देरी के बारे में पूछे जाने पर बडोली ने कहा कि आलाकमान द्वारा उम्मीदवारों की अंतिम सूची को मंजूरी देने से पहले पार्टी के सभी स्तरों से सुझाव एकत्र किए जा रहे हैं. यह एक लंबी सूची है.

मुख्यमंत्री किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, यह तय करने की होड़ मची हुई है

सीएम सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, इस पर हालिया असमंजस से यह भी पता चलता है कि राज्य भाजपा पूरी तरह से तैयार नहीं है. 28 अगस्त की दोपहर बाद बडौली खुद मैदान से हट गए और कहा कि सैनी कुरूक्षेत्र जिले के लाडवा से चुनाव लड़ेंगे. अभी करनाल का प्रतिनिधित्व कर रहे सीएम सैनी ने मीडिया से कहा, मोहनलाल बड़ौली को मुझसे ज्यादा ज्ञान हो सकता है लेकिन वह अपनी वर्तमान सीट से ही चुनाव लड़ेंगे.  उस रात बाद में, सैनी के प्रतिनिधियों ने एक बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणियों को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.  क्योंकि पार्टी आलाकमान जहां से कहेगा वे वहीं से चुनाव लड़ेंगे.

Report By:
Devashish Upadhyay.