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कानून को अंधा बताने वाली न्याय की मूर्ति को बदला, CJI ने दिया था ऑर्डर

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Oct 17, 2024

सुप्रीम कोर्ट में न्याय दिलाने का प्रतीक लेडी ऑफ जस्टिस यानी न्याय की मूर्ति को बदल दिया गया है। यह बदलाव भारत के चीफ जस्टिस DY Chandrachud के ऑर्डर पर हुआ है। इसका मकसद लोगों को यह बताना है की भारत का कानून अंधा नही है । वह हमेशा सही को न्याय दिलाने के पक्ष में रहता है।

 क्या है नई मूर्ति में बदलाव

न्याय की सफेद मूर्ति एक संदेश दे रही है । जो आंखो से काली पट्टी हटा कर बता रही है की  कानून अंधा नही है। कानून की नजर में सब बरोबर है । यह न्याय किसी धर्म, जाती, रंग,रूप को नहीं देखता , न्याय सच्चाई से मिलता है। वही बाएं हाथ में तलवार पकड़ी थी जो बदल कर संविधान की किताब रख दी गई है जो अन्याय के प्रति सजा देने की शक्ति को दिखाता है और बताता है न्याय संविधान से दिया जाता है। वही दाएं हाथ में तराजू है जो की अभी भी नई मूर्ति के हाथ में है । यह तराजू समाजिक संतुलन की और दर्शाता है और साथ ही यह भी बताता है कि कोर्ट किसी नतीजे पर आने से पहले दोनों पक्षों की सुनता है फिर किसी समाधान पर आता है।

 क्या है मूर्ति का इतिहास  

न्याय की मूर्ति दुनिया भर की अदालतों में अलग अलग होती है और उनका अलग अलग मतलब होता है। कुछ देशो में मूर्ति की आंखों मे पट्टी होती है तो कुछ में नही। जैसे की अमेरिका में न्याय की देवी की आंखो में पट्टी बंधी नहीं होती है  जर्मनी, फ्रैंकफर्ट में आंखो में पट्टी बंधी होती है। भारत की न्याय की देवी जिसे हम अकसर कोर्ट में देखते है वह असल में यूनान की देवी है। जिसे जस्टिया नाम से जाना जाता है और इन्हीं के नाम से जस्टिस शब्द सामने आया है। यह मूर्ति 17वीं शताब्दी में एक अंग्रेज द्वारा भारत लाई गई थी। जो की एक न्यायालय अधिकारी थे। इस मूर्ति का इस्तेमाल ब्रिटिश राज के 18वीं शताबदी में न्याय के रूप में होने लगा । जिसके बाद भारत की आजादी के बाद भी इसे न्याय के प्रतीक के रूप में अपनाया गया है।  

 

 

 

Report By:
Author
Swaraj