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भू राजस्व संहिता पर हंगामा क्यों है बरपा ?

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Feb 7, 2018

छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पर आज सदन में जमकर हंगामा बरपा। दरअसल स्पीकर ने राज्यपाल की ओऱ से विधेयक वापस लौटाए जाने की सूचना दी, जिस पर विपक्ष ने यह कहते हुए कड़ी आपत्ति जताई कि जब विधेयक राज्यपाल के पास था, तो फिर किस अधिकार से कैबिनेट ने संशोधित विधेयक को वापस लेने का ऐलान किया था। विपक्ष ने बड़ा आरोप लगाया कि सरकार संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रही है, तो इधर सरकार ने कांग्रेस पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि- विपक्ष आदिवासियों के नाम पर केवल राजनीति करता है।

प्रदेशभर में विरोध की आवाज
शीतकालीन सत्र के दौरान ही राज्य सरकार ने विधानसभा में भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पेश किया था। संशोधिन कानून के तहत आदिवासियों की जमीन सरकार उनकी सहमति से खरीद सकती थी। सरकार की दलील थी कि आदिवासियों को उनकी जमीन का वाजिब मुआवजा दिया जाएगा। जमीनें केवल सरकार की परियोजनाओं के लिए ली जाएंगी। लेकिन सवाल उठाया गया कि सरकार की नीयत पीछे दरवाजे से बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की है। लिहाजा  प्रदेशभर में विरोध की आवाज गूंज गई। सर्व आदिवासी समाज ने सरकार के इस नए कानून को कड़ा विरोध जताया। आदिवासी समाज की बढ़ती नाराजगी के बीच कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जमकर राजनीति की। बीजेपी संगठन के भीतर भी आदिवासी नेतृत्व मुखर हुआ और नतीजा रहा कि रमन कैबिनेट की बैठक में ऐलान कर दिया गया कि संशोधित कानून को सरकार वापस लेगी।

संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन 

आज विधानसभा में स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक राज्यपाल द्वारा पुर्नविचार के लिए लौटाए जाने की सूचना सदन को दी। इस पर कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब विधेयक राज्यपाल ने लौटाया है, तो सरकार कैसे विधेयक वापस लेने का ऐलान कर सकती हैं ये संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन हैं। उन्होंने कहा कि पक्ष के आदिवासी मंत्री और विधायकों ने इस विधेयक का क्यों विरोध नहीं किया। हमें बोलने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने जब कैबिनेट से इस बिल को लेकर कुछ पूछा ही नहीं, तो फिर कैसे कैबिनेट ने बिल को लेकर निर्णय ले लिया।

सरकार का फैसला गुमराह करने वाला

विपक्ष ने सरकार के फैसले को गलत और गुमराह करने वाला बताया। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कहा कि ये असंवैधानिक कृत्य सरकार ने किया है। ये कैबिनेट का विषय ही नहीं है। जब विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था, तो फिर किस नियम से कैबिनेट में इसे सरकार ने वापस लेने का फैसला किया। ये सदन की अवमानना भी है। विपक्ष ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई है और सरकार पर सदन की अवमानना का आरोप लगाया। विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि एक तरफ सरकार कैबिनेट में विधेयक वापस लेने की घोषणा करती है और मुख्यमंत्री बस्तर में आभार रैली निकलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं थी, क्योंकि अगर नीयत साफ होती, तो विधेयक आता ही नहीं। 
नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने कहा कि क्या कैबिनेट विधानसभा से भी ऊपर हो गई है। जब विधानसभा में वोट के जरिए बिल पारित किया गया। उन्होंने कहा कि इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को सदन में माफी मांगनी चाहिए।