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बदनावरः दिन में तीन रूप में होते हैं मां एकवीरा के दर्शन, देश में ऐसे दो ही मंदिर बदनावर और महाराष्ट्र के धुलिया में  

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Oct 4, 2019

मनोज सोलंकी - अति प्राचीन पांडवकालीन मां एकवीरा का मंदिर बदनावर में है। यहां 5 फीट ऊंची प्रतिमा पाषण होकर चमत्कारी है। सुबह के समय बाल्यकाल, दोपहर में काली और शाम को मां जगदंबा के रूप में दर्शन होते हैं। मंदिर परिसर में पश्चिममुखी गणेशजी, भगवान भोलेनाथ, काल भैरव व शीतला माता विराजित है। यहां महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात व दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मातारानी के नाम पर मानी गई मनोकामना पूरी होती है। निसंतान दंपति भी यहां मन्नत लेकर गोद भराने आते हैं। पांडवों की कुलदेवी मां एकवीरा के दो ही मंदिर देश में बताए जाते हैं। एक बदनावर तथा दूसरा महाराष्ट्र के धुलिया में। कहा जाता है महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देकर मां एकवीरा की पूजा अर्चना करने पर ही युद्ध में विजयी होने का ज्ञान दिया था। तब अज्ञातवास में पांडवों द्वारा यहां आकर मां की भक्ति कर कई शस्त्र प्राप्त किए थे। प्राप्त दिव्य शस्त्रों से दुश्मनों को पराजित किया था। 

यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना होती है पूरी 

पुजारी मनीष शर्मा ने बताया कि मां एकवीरा के दर्शन से सभी मनेाकामना पूर्ण होती है। भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को मां एकवीरा की भक्ति करने पर ही विजयी होने की बात कही थी। दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कालरात्रि सप्तम स्वरूपा में इस मंदिर का उल्लेख है। साथ ही देवी भागवत में एकवीरा नाम से उल्लेख आता है। श्रद्धालु अनोखीलाल पाटीदार व दिनेश शर्मा ने बताया कि नंगे पांव चलकर एकवीरा माताजी के दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है। 

श्रद्धालु यहां ऐसे पहुंच सकते हैं 

यह मंदिर बदनावर-पेटलावद मार्ग पर स्थित है। जिला मुख्यालय धार से 55 किमी, इंदौर से 94 किमी, उज्जैन से 65 किमी, पेटलावद से 51, सरदारपुर से 60 और रतलाम से 42 किमी की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए बस की सुविधा भी उपलब्ध है।