Loading...
अभी-अभी:

अभनपुरः सन्तान की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए मनाया गया हलषष्ठी का त्यौहार

image

Aug 22, 2019

प्रवीण साहू - समूचे छत्तीसगढ़ की तरह अभनपुर क्षेत्र में भी कल कमरछठ यानि हलषष्ठी का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सन्तान की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए रखे जाने इस व्रत में माताएं सुबह से निर्जला व्रत रखती हैं। माताओं ने सुबह ब्रश की जगह महुआ के दातुन से दांत साफ़ कर व्रत की शुरुआत की। दोपहर को घर के आंगन में गड्ढा खोद उसकी गोबर से लिपाई कर कांसी के फूल और गूलर से सजाकर उसमें भगवान शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और सिंह को रखकर उसकी पूजा की और 6 कहानियों का श्रवण किया। इसके बाद पीली मिट्टी से सने कपड़े से अपने संतानों के शरीर पर निशान लगाया। कहते हैं कि इससे संतान बुरी नजर और शारीरिक बीमारियों से बचे रहते हैं। इसके बाद बिना हल जुते उगने वाले लाल रंग के पसहर चावल, 6 विभिन्न प्रकार की भाजियों, भैंस का दूध और उसी दूध से निर्मित दही का सेवन करते हुए अपना उपवास तोड़ा।

इसी दिन भगवान शेषनाग, श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतरित हुए थे

इस अवसर पर व्रती महिलाएं काफी प्रसन्न नजर आईं। हलषष्ठी के बारे में बताया जाता है कि इसी दिन भगवान शेषनाग, श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतरित हुए थे। बलराम का मुख्य शस्त्र ‘’हल’’ होने के कारण ही इस त्यौहार को हलषष्ठी कहा जाता है और इसी कारण आज के दिन हल से जुते हुए खाद्य सामग्रियों का सेवन व्रती महिलाओं के लिए वर्जित रहता है। यह भी कहा जाता है कि देवर्षि नारद के कहने पर माता देवकी ने हलषष्ठी का व्रत किया था, जिसके परिणामस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का जन्म हुआ और जिन्होंने कंस का वध कर दुनिया को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी।