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पृथ्वीपुरः तीन दिवसीय राम विवाह महोत्सव की शुरुआत, घर-घर में वैवाहिक गीतों की गूंज

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Nov 30, 2019

हेमन्त वर्मा - रामराजा की नगरी ओरछा में श्रीराम विवाह महोत्सव की धूम है। 29 नबम्बर से 1 दिसम्बर तक चलने वाले इस महोत्सव की तैयारी पूरी हो गई है। घर-घर में वैवाहिक गीतों की गूंज है क्योंकि रामजी सीता माता को बिहाने जाने वाले हैं। वर पक्ष बुन्देली गारी के जरिये गीत गुनगुना रहे हैं "बन्ना को चढ़ गओ हरदी तेल बन्ना मेरो पीरो पर गाओ री"। वहीं वधु पक्ष बुन्देली गारी के माध्यम से बन्नी गीत गा रही हैं "बन्नी तेरी अंखियां सुरमेदानी, बन्नी तेरी बेंदी लाख की, बन्नी तेरो गेंदा है हजारी।" बुन्देलखण्ड के अलग-अलग जिलों से तकरीबन एक लाख श्रद्धालु राम विवाह महोत्सव में पहले भगवान की पात व फिर बारात के इन्तजार में हैं।

ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिर्फ रामराजा को ही दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

दरअसल रामराजा की नगरी ओरछा देश में एक ऐसी जगह है जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का सम्बन्ध है। इसलिए ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिर्फ रामराजा को ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। ओरछा की सीमा के अन्दर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री समेत कोई भी अति विशिष्ट व्यक्ति गार्ड ऑफ ऑनर नहीं लेता है। इस तरह की पांच सौ वर्ष पुरानी एक नहीं ओरछा में अनेक परंपराएं आज भी जीवंत है। परंपराओं की इसी श्रृखला में प्रतिवर्ष रामराजा विवाह की वर्षगांठ का तीन दिवसीय आायोजन भी ठेठ बुन्देली राजशी अंदाज में मनाया जाता है। पंचमी महोत्सव को देखकर आज भी लोगों में बुन्देली राजशी वैभव की यादे ताजा हो जाती हैं। राजशी अंदाज में होने वाला प्रतिभोज व रामराजा की बारात की शोभायात्रा अपने आप में अनूठी होती है। इसमें इस वर्ष भी देश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब एक लाख लोग भाग लेते हैं।

बुन्देली दुल्हों की तरह श्रीराम जी को पहनाया जाता है खजूर के पेड़ की पत्तियों का मुकुट

आधुनिक सुविधाओं के बीच भी राम विवाहोत्सव का प्राचीन बुंदेली स्वरूप व परंपराओं को पूरी तरह से जीवंत रखा जाता है। बारात में दुल्हा के रूप् में विराजमान रामराजा सरकार की प्रतिमा को पालकी में बैठाया जाता है। उनके सिर पर सोने का मुकुट नहीं बल्कि आम बुन्देली दुल्हों की तरह खजूर के पेड़ की पत्तियों का मुकुट पहनाया जाता है। पालकी के एक ओर छत्र तथा दूसरी ओर चंवर को देखकर सैकडों वर्ष पुराने बुन्देली राजशी वैभव की याद ताजा हो जाती है। विद्युत छटा से जगमगाए ओरछा के रास्तों के बीच पालकी के आगे आज भी बुन्देली अंदाज में मशालीची मशाल लेकर रोशनी के लिए आगे- आगे चलते है नगर में भम्रण के बाद बारात रामराजा की ससुराल विशम्भर मंदिर (जानकी मंदिर) पहुँचती है। जहां पर बारातियों के भव्य स्वागत के साथ द्वारचार की रस्म पूरी होती है। इस दौरान नगर की गली-गली बुन्देली वैवाहिक गीतों से गूंज उठती है। इस तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मण्डप व प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है।

वर्ष में एक बार होता है रामराजा सरकार के यहाँ प्रीतिभोज कार्यक्रम

ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष भर में ओरछा के लोग अपने राजा को अपने यहां वैवाहिक समारोह व प्रीतिभोज में आमंत्रित कर प्रीतिभोज देते है। लेकिन वर्ष में एक बार रामराजा सरकार के यहाँ प्रीतिभोज कार्यक्रम में 10-15 हजार लोग भाग लेते हैं और भगवान का प्रसाद ग्रहण करते हैं। वहीं साल में एक दिन राजा अपनी प्रजा का हालचाल मंदिर के बाहर आते हैं। इस दौरान भक्त अपने राजा का घरों के बाहर खड़े होकर राजतिलक करते हैं। रामविवाह की तैयारियां पूरी हो चुकी है। पूरे नगर को दूधिया रोशनी में सजाया जा रहा है। प्रशासन ने विवाह से संबंधित सारी व्यवस्थाओं का जायजा ले लिया है। इस महोत्सव में शामिल होने न केवल देशी श्रद्धालु बल्कि विदेशी भी बड़ी संख्या में ओरछा पहुंच रहे हैं।