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अम्बिकापुरः बसों की जर्जर स्थिति, परिवहन विभाग की लचर व्यवस्था लोगों के लिए जानलेवा  

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Nov 30, 2019

राम कुमार यादव - सरगुजा जिले में परिवहन विभाग की लचर व्यवस्था लोगों के लिए जानलेवा बनती जा रही है। लोग कबाड़ बने यात्री बसों पर सफर करने को मजबूर हैं तो विभाग के लोग दफ्तर में ही बैठ कर सारी व्यवस्था दुरुस्त कर लेने के दम भर रहे हैं। आलम ये है कि जर्जर यात्री बसे जिले की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड रही है, लेकिन बस मालिकों की इस जानलेवा हरकत पर कार्यवाही करने वाले मूक दर्शक बने हैं।

बस स्टैंड में खडी किसी बस का हिस्सा सामने से खुला हुआ है तो कोई बस अगले कांच के बिना ही सड़क पर दौड़ने को तैयार है। इतना ही नहीं अधिकांश यात्री बसों के अंदर सुरक्षा के लिए लगाए जाने वाले अग्निशामक, स्पीड गवर्नर जैसी यंत्र है ही नहीं। अगर हैं भी तो उनको पल्ग आउट कर दिया गया है। प्लग आउट करना मतलब तय गति से ज्यादा तेज चलाने के लिए इस यंत्र को डिस्कनेक्ट कर दिया जाता है। जी हां हम बात कर रहें हैं अम्बिकापुर की। यहां की बसों की जर्जर स्थिति के कारण इसमें सफर करने वाले हमेशा किसी ना किसी हादसे के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे में हमने रोज बस से सफर करने वाली एक महिला से बात की तो उन्होंने कहा कि उनको बस में चढ़ने में डर लगता है, लेकिन मजबूरी में चढ़ना पड़ता हैं।

मौजूद अधिकारी बसों की फिटनेस का भर रहे दम

इधर सरगुजा जिले में यात्री बसें अपनी रफ्तार और कंडम स्थिती के कारण दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाती हैं, लेकिन दूसरी तरफ परिवहन विभाग ऐसी बसों पर लगातार कार्यवाही के दम भर रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिले में दौड़ रही यात्री बस को फिटनेस के लिए 24 बिंदु तय हैं। जिनमें सुरक्षा से लेकर बस में लगे उपकरणों की जांच समय-समय पर परिवहन विभाग द्वारा की जाती है और ये सारे नियम कायदे बस मालिक भी अच्छे से जानते हैं, लेकिन सांट-गांठ से फिटनेस कराकर ये कबाड़ बसों को सड़क पर बेधड़क सड़कों पर दौड़ाते रहते हैं। वैसे जिन उपकरणों और व्यवस्था की जांच बस मालिक कर रहे है। अगर उसकी जांच और फिटनेस वास्तव में होता। फिर बसें इतनी ज्यादा खराब स्थिति में कैसे रहती है। इस सवाल के साथ जब हम जिला परिवहन अधिकारी के दफ्तर पहुंचे, तो मौजूद अधिकारी ने बताया कि फिटनेस जरुरी है और इस जांच को समय-समय पर किया जाता है। अगर अभी भी ऐसी स्थिति होगी तो इस पर उड़नदस्ता टीम भेज कर जांच करवाया जायेगा। अगर ऐसा पाया जाता है तो फिटनेस का लाइसेंस रद्द भी किया जायेगा। यात्रियों की जान की हिफाजत के लिए पदस्थ परिवहन अधिकारी और पुलिस विभाग के लोगों को भले ही ये कडंम बस नजर ना आए। लेकिन इनमें यात्रा करने वाले यात्रियों को तो जान जोखिम मे रखकर इनमे यात्रा करना ही पडता है। बहरहाल साहब ने समय समय पर जांच की बात कह तो दी, लेकिन वास्तव मे अगर पूरी ना सही थोडी इमानदारी से इन बसों की जांच कर ली जाए तो शायद फिर इन बसों में यात्री बिना भय के यात्रा कर सकतें हैं।