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छठ पूजा के लिए घाट पर पहुंची महिलाएं, डूबते सूर्य को दिया अर्ध ऐसी है पर्व की विशेषता

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Nov 14, 2018

अनिल डहरिया - बिहार से शुरू होकर देश के कोने कोने में श्रद्धा पूर्वक मनाएं जाने वाले सौभाग्य स्मृद्धि और मनोकना का महापर्व छठ आज छिन्दवाड़ा जिले के कोयलांचल क्षेत्र परासिया की पेंच नदी के घाट पर विधि विधान से सांध्यकाल सूर्य की अंतिम किरण को अर्ध देकर मनाया गया कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की चौथ से शुरू हुये महापर्व छठ  चौथ की शाम से नहाए खाय पंचमी के दिन  लोहड़ा-खरना और षष्टी पर सूर्य को सांध्य का अर्ध और सुबह का अर्ध देकर व्रत का समापन किया जाता है।

बॉस और मिट्टी के बर्तनों का किया जाता है उपयोग

इस छठ पूजा में बॉस और मिट्टी के बने बर्तनों  का उपयोग किया जाता है जिसमे दिया कोरबा, कोशा, सूपा, बास की ढकिया और कोनिया प्रमुख होते है व्रतधारी महिलाये छठ मईया के गीत गाते घाट में सिर पर टोकरी रखकर पहुंची, घाट किनारे पूजा अर्चना के पश्चात प्रसाद का भोग लेकर पानी मे उतरकर भगवान सूर्य की अंतिम किरण को अर्ध दिया गया 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ महापर्व के सातवे दिन सुबह में उगते सूर्य की पहली किरण को अर्ध देकर उपासना की समापन किया गया।