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दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां गिलहरी के रूप में विराजित हैं हनुमानजी, दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं सारी परेशानियां

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Feb 23, 2024

Gilahraj Hanuman Mandir Aligarh: 

देश के कोने-कोने में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर का एक विशेष महत्व होता है। इन सभी मंदिरों में हनुमानजी की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। हनुमानजी का एक ऐसा अनोखा मंदिर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में है जो पूरी दुनिया में मशहूर है। क्योंकि इस मंदिर में हनुमानजी महाराज गिलहरी के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर को गिलहराज हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां लगातार 41 दिनों तक पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

विश्व का एकमात्र मंदिर -

गिलहराज हनुमान मंदिर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अचल ताल झील के तट पर स्थित है। यह मंदिर कितना पुराना है यह कोई नहीं जानता। ऐसा माना जाता है कि यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान हनुमान की गिलहरी के रूप में पूजा की जाती है।

हनुमानजी ने गिलहरी का रूप धारण किया - 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान राम राम सेतु का निर्माण कर रहे थे, तब भगवान राम ने हनुमानजी को कुछ देर आराम करने के लिए कहा, लेकिन हनुमानजी ने आराम नहीं किया। उन्होंने गिलहरी का रूप धारण किया और पुल बनाने में रामसेना की मदद की। भगवान राम ने गिलहरी के रूप में हनुमानजी को देखा और उन पर अपना हाथ फेर दिया, जिसके बाद गिलहरी की पीठ पर भगवान के हाथ की वही रेखा बन गई, जिसे आज भी देखा जा सकता है।

हनुमान जी ने सपने में दिए दर्शन -

गिलहराज मंदिर के महंत कैलाश नाथ ने बताया कि श्री महेंद्रनाथ योगीजी महाराज हनुमानजी को स्वप्न में मिले और कहा कि मैं अचल ताल पर हूं, वहीं मेरी पूजा करो। जब उन्होंने वहां जाकर खोजबीन की तो उन्हें मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरियाँ मिलीं, जब उन्होंने उसे खोदा तो उन्हें वह मूर्ति मिली। यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमानजी की थी। तभी से यह मूर्ति मंदिर में स्थापित कर पूजा की जाने लगी।

हनुमान की प्रत्यक्ष आंख -

यह मंदिर बहुत प्राचीन बताया जाता है। महाभारत काल में सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने अचल ताल पर गिलहरी के रूप में हनुमानजी की पूजा की थी। पूरी दुनिया में अचल ताल मंदिर का यह एकमात्र प्रतीक है जहां भगवान हनुमान की आंख दिखाई देती है।

पूजा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं -

मान्यता है कि इस मंदिर में 41 दिनों तक लगातार पूजा करने से दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। यहां दर्शन से शनि एवं अन्य ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। यहां बजरंगबली को प्रतिदिन 50-60 चोला वस्त्र चढ़ाए जाते हैं।