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भगवान विष्णु का एक मंत्र हजार नामों के बराबर

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Jan 4, 2018

अगर कोई व्यक्ति भगवान विष्णु के हजार नामों का जाप नहीं कर सकता है तो वह इस एक मंत्र का जाप कर सकता है। यह एक मंत्र कलयुग में सभी परेशानियों को दूर करने में सहायक है। इस मंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हिन्दू धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय शैव और वैष्णवों के मध्य यह सेतु का कार्य करता है। विष्णु सहस्रनाम में विष्णु को शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र के नाम से सम्बोधित किया है, जो इस तथ्य को प्रतिपादित करता है कि शिव और विष्णु एक ही है। महाभारत मेें भी भगवान विष्णु के हजारों नामों का यथार्थ विवरण प्रस्तुत किया गया है। कहा जाता है कि जब भीष्म पितामह अपनी इच्छा मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे थे,युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा कि ‘किमेकम दैवतम लोके, किम वाप्येकम परयणम’ अर्थात कौन ऐसा है, जो सर्व व्यापी है। तब उन्होंने विष्णु के इन हजार नामों के बारे में युधिष्ठिर को बताया था। ये मंत्र है.. विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र मंत्र :- नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे। सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नमः।। यदि प्रतिदिन प्रातः काल इस एक मंत्र का पाठ किया जाए तो जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।