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गूगल, याहू को सुप्रीम कोर्ट ने चेताया, जल्द ब्लॉक करें सेक्स जांच वाले की-वर्ड्स

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Feb 17, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को चेताया है। गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट सर्च इंजन को प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण (PNDC) से संबंधित विज्ञापनों की पहचान कर उसे हटाने के लिए तत्काल विशेषज्ञों की कमेटी बनाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोट ने सभी सर्च इंजन से कहा कि आप देश के कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा, आपको हर हालत में भारतीय कानून को मानना पड़ेगा।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को सर्च इंजन की यह दलील नागवार गुजरी कि उनके लिए पीएनडीटी से संबंधित विज्ञापनों को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है। पीठ ने कहा कि भारतीय कानून का पालन करते हुए सभी सर्च इंजन को पीएनडीटी से संबंधित विज्ञापनों को हटाना होगा। पीठ ने सभी कंपनियों से सवाल किया कि आखिर वे पीएनडीटी को लेकर भारतीय कानूनी प्रावधान को मानने के प्रति सुस्त क्यों हैं, जबकि यह देखा गया है कि यहीं कंपनियां दूसरे देशों में इस तरह के कानूनों का पालन आसानी से कर रही हैं फिर भारतीय कानून को मानने मे क्या परेशानी है।

पीठ ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। वास्तव में सर्च इंजन का कहना है कि वह भारतीय कानून का सम्मान करते हैं लेकिन इस संबंध में आंतरिक कमेटी के गठन को लेकर उनके समक्ष कई परेशानियां हैं। इस पर पीठ ने कहा कि हमारा उद्देश्य देश में लिंगानुपात में हो रही कमी पर लगाम लगाना है। देश का लिंगानुपात बहुत कम है। इससे मानव प्रजाति के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे का अंदेशा है।

पीठ ने केंद्र सरकार को विज्ञापन के लिए नोडल एजेंसी का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा है, जिससे लोग इसके बारे में जान सकें और एजेंसी से संपर्क कर सकें। मालूम हो कि अदालत द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के तहत, पीएनडीटी से संबंधित शिकायतों को नोडल एजेंसी की जानकारी में लाना होता है। नोडल एजेंसी वेबसाइट को इसके बारे में जानकारी देती है और उनसे गैरकाूननी विज्ञापनों को हटाने का निर्देश देती है।