Jan 17, 2017
रायपुर। दिल की गंभीर बीमारी डिलेटेड कॉर्डियोमायोपैथी (डीसीएम) से पीड़ित राजनांदगांव की 2 साल 9 महीने की निष्ठा महोबिया का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। उसके सीने में अब बेंगलुरू के 4 साल के बच्चे का दिल धड़क रहा है, जिसे मृत्यु के बाद परिवार ने डोनेट किया था। इससे पहले प्रदेश से इतनी कम उम्र के बच्चे का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है। यहां इसकी सुविधा नहीं होने पर चेन्नाई में ऑपरेशन हुआ, जिसका खर्च 26 लाख रुपए आया। रहने-खाने में 15 लाख लग चुके हैं। संजीवनी राहत कोष से 1.80 लाख की मदद मिली है।
पिता संजय ने बताया कि जन्म के कुछ महीने बाद अचानक बेटी की तबीयत बिगड़ी। रायपुर से लेकर दिल्ली, मुंबई तक दौड़े। इलाज से आराम नहीं हुआ। स्टेमसेल काम नहीं आया। एक डॉक्टर ने सलाह दी कि हार्ट ट्रांसप्लांट से जान बच सकती है। बेंगलुरु से एयरलिफ्च कर हार्ट लाया फिर चेन्नाई एयरपोर्ट से हॉस्पिटल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। वे पत्नी परतिका को लेकर 8 महीने से चेन्न्ई में बेटी का इलाज करा रहे हैं।
क्या है डीसीएम डिसीज
कार्डियोथोरोसिक सर्जन डॉ. निशांत चंदेल व डॉ. केके साहू के मुताबिक इस रेयर बीमारी में हार्ट साइज बढ़ने लगता है। पंपिंग नहीं हो पाती। खासकर ये परेशानी अधिक उम्र में होती है। बच्चों में संक्रमण, मां को डायबिटीज या थाइराइड की कमी हो। पीड़ित बच्चे खाना-पीना छोड़ देते हैं। शरीर कमजोर होना लगता है, वजन नहीं बढ़ता।
3 बार पार्षद रहे संजय ने प्रॉपटी गिरवी रखी दी, दोस्तों से 15 लाख रुपए उधार लिए। प्रतिद्वंदी पार्षद व बचपन के दोस्त संजय जैन ने भी मदद की है। परिवार ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मदद की अपील भी की है। प्रयास कर रहे हैं कि अतिरिक्त सहायता दे सकें। मेरी जानकारी में अभी तक तो इतनी कम उम्र में राज्य से किसी का भी हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है। -विजेंद्र कटरे, एडिशनल सीईओ, संजीवनी