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एक ऐसा धर्म स्थल जहां देवता नहीं बल्कि दानव पूजे जाते है, जानिए पूरी खबर!

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Mar 23, 2018

देश और प्रदेश में कई ऐसे धर्म स्थल है जहां लोग देवी-देवताओं से अपने लिए मन्नतें मांगते है। लेकिन सूरजपुर जिले का खोपा धाम जहां दानव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दरबार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरे, मुर्गे की बली दी जाती है और शराब चढ़ाई जाता है, कैसा है यह धाम और क्या है इसकी मान्यता आज हम इसके बारे में जानेंगें!

देवी नहीं दानच पूजे जातेे ​है यहां
श्रद्धालूओं की भीड़, मन्नत के लिए बांधे गए नारियल और धागे और पूजा पाठ का माहौल, जी हां इस स्थान पर पूजा का माहौल तो बनता है लेकिन यह पूजा किसी देवी देवता की नहीं बल्कि दानव की हो रही है और इस दानव का नाम है बकासुर जिसे स्थानीय लोग दानव देवता के नाम से भी जानते है। इनकी स्थापना खोपा गांव में की गई है इसलिए इस धाम को खोपा धाम भी कहा जाता है। 

मनचाही मुराद होती है पूरी
बता दें आसपास के इलाके ही नहीं बल्कि और कई प्रदेशों के भी आस्था का केन्द्र है यह धाम। यहां तमाम लोग अपनी मान्यता लेकर आते है और मनचाही मुराद पाकर जाते है। इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है बताया जाता है कि बकासुर नाम का दानव खोपा गांव के बगल से गुजरती रेड नदी में रहते थे। गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वहां गांव के बाहर एक स्थान पर रहने लगे और अपनी पूजा के लिए उन्होंने बैगा जाति के लोगो को ही स्वीकृति प्रदान की। यही वजह है कि यहां पूजा कोई पंडित नहीं बल्कि बैगा ही कराते है तब से लेकर आज तक यह स्थल आस्था का केन्द्र बना हुआ है। 

पूजा करने का तरीका सबसे अलग
यहां की पूजा का तरीका भी अलग है पहले यहां नारियल तेल और सुपाड़ी के साथ पूजा कर अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस स्थान में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी लेकिन अब आधुनिकता में महिलाएं भी भारी संख्या में इस पवित्र स्थल पर जाकर पूजापाठ करती है। इस स्थान में पिछले कई सौ सालो से पूजा हो रही है लेकिन आज तक यहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया गया है इसकी भी अपनी अलग कहानी है। जानकारो के अनुसार खोपा देवता ने स्थापित होने से पहले ही यह बात कह दी थी मेरा मंदिर ना बनाया जाए ताकि मैं चार दीवारी में कैद होने के बजाए स्वतंत्र रह सकूं। साथ ही इस स्थान की मान्यता है कि यहां का प्रसाद महिलाए नहीं खा सकती है साथ ही यहां के प्रसाद को घर नहीं ले जाया जा सकता है।

श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र
पिछले कई सौ वर्षो से यह श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र है। यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही है छत्तीसगढ़ सहित तमाम प्रदेशो के श्रद्धालु भी यहां अपनी मन्नत मांगने यहां आते है। मन्नत पूरी होने पर बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाते है। श्रद्धालुओं की माने तो इस दर से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता है। यहां के बैगा पूजारी भूत-प्रेत और बुरी साया से बचाने का दावा भी करते है। यहां भूत-प्रेत से छुटकारा पाने वाले की भी लंबी लाइन लगी रहती है।

पुरानी कहावत है मानो तो देव नहीं तो पत्थर यह कहावत खोपा धाम के लिए बिलकुल सटीक बैठती है। यहां दानव पर आम लोगो की आस्था इतनी गहरी है कि इनकी मन मांगी मुरादे पूरी हो रही है कहा जा सकता है की आस्था में इतनी शक्ति होती है कि वह पत्थर में भी जान डाल सकती है।्र