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धरमपुरी की ऐतिहा​सिक इमारतें खत्म होने की कगार पर!

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Feb 17, 2018

नर्मदा तट पर बसे धर्मराज युधिष्ठर की नगरी कहे जाने वाले धरमपुरी में अनेक धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं। इन धरोहरों से ही धरमपुरी की कीर्ति, प्रसिद्धि और पहचान है वही रानी रूपमती की जन्मस्थली के रूप में भी अपनी पहचान रखता है। लेकिन सदियों पुरानी ऐतिहासिक धरोहरे शासन-प्रशासन की अपेक्षा का शिकार होकर खंडहरों में तब्दील होकर लुप्त होने की कगार पर खड़ी है। और इन्हें सहजने के लिए आज तक कोई ठोस उपाय नही किये गए है।

हम बात करें धरमपुरी के नागेश्वर धाम की जहां अतिप्राचीन मंदिरों के साथ कई सदियों पुराना रानी रूपमती का विशाल दीप स्तंभ मौजूद है। यह दीप स्तंभ धरमपुरी से रानी रूपमती के निकट संबंध का एक प्रमाण भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि रानी रूपमती नर्मदा के दर्शन करने के पश्चात ही अन्न ग्रहण करती थी। 

मांडवगढ़ की रानी बन जाने के बाद धरमपुरी स्थित नर्मदा के दर्शन कर सके इस प्रयोजन से रानी रूपमती ने धरमपुरी के नागेश्वर में करीब 100 फिट ऊंचा विशाल दीप स्तंभ का निर्माण करवाया था। और प्रतिदिन सायंकाल अपने मांडू स्थित महल से इसी दीप स्तंभ पर जलने वाले दीपक को देखकर नर्मदा जी के दर्शन कर अन्न ग्रहण करती थी। किन्तु उचित रख रखाव ओर संरक्षण न होने की वजह से यह दीप स्तंभ धीरे-धीरे खंडहरों में तब्दील हो रहा है। 

प्रशासन द्वारा ध्यान नही दिए जाने से ये ऐतिहासिक धरोहर जीर्णशीर्ण होकर नष्ट होने की कगार पर आ गई है दीप स्तंभ की दीवारों का प्लास्टर जगह-जगह से निकल रहा है। दीवारों से पत्थर बाहर झांकने लगे है। कंटीली झाड़ियों से घिरा दीप स्तंभ के चारों ओर वीरानी छाई हुई है।वहीं पहुँच मार्ग पर घना जंगल होने के कारण दीप स्तंभ तक पहुंचना भी अब पर्यटकों के लिए जोखिम भरा सफर बनता जा रहा है। पर्यटन विभाग को चाहिये, की ऐसी ऐतहासिक विलुप्त होती धरोहरों को सहेजकर, इसके वैभवशाली इतिहास को बनाये रखें।