Jan 9, 2017
सरकार ने रिजर्व बैंक को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि वह अपने बोर्ड के सामने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित करने का प्रस्ताव पेश करे। इस मामले से वाकिफ तीन सूत्रों ने यह जानकारी दी है। नोटबंदी का फैसला क्यों लिया गया और उससे पहले इस मामले में क्या हुआ, इसकी जानकारी सूत्रों ने दी। उन्होंने बताया कि नोटबंदी के ऐलान से 6 महीने पहले संबंधित विभागों के बड़े अधिकारियों की एक टीम ने इस पर काम शुरू कर दिया था।
दो सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक को चिट्ठी वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने भेजी थी। आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ने इस प्रस्ताव पर विचार किया और उसे 8 नवंबर को मंजूरी दी, जिसकी सूचना तुरंत ही सरकार को दी गई। उसके बाद इस प्रपोजल को केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रूव किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर की रात 8 बजे टीवी चैनल के जरिये 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की जानकारी दी। इस कदम से अचानक देश की 86 प्रतिशत करेंसी कैंसल हो गई। नोटबंदी के ऐलान के बाद जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विपक्षी दलों ने यह सवाल किया था कि सरकार इस फैसले पर किस तरह से पहुंची?
केंद्र ने कहा था कि काला धन, नकली नोटों और आतंकवादियों की फंडिंग को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। नोटबंदी की मुहिम मोदी सरकार की कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने की योजना के भी मुताबिक थी। दरअसल, कैशलेस ट्रांजैक्शंस को ट्रैक करना काफी आसान होता है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई के बोर्ड ने 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित करने का फैसला लिया था और उसके आधार पर कैबिनेट के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया, जहां से उसे तुरंत मंजूरी मिल गई।