Jan 29, 2018
बिल्व अथव बेल विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है। भारत में इस वृक्ष का पीपल, नीम, आम, पारिजात और पलाश आदि वृक्षों के समान ही बहुत अधिक सम्मान है। हिन्दू धर्म में बिल्व वृक्ष भगवान शिव की अराधना का मुख्य अंग है। धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी होता है।
हम जानते है कि हिंदू धर्म में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है। और उन्हें बेलपत्र अर्पित करता है तो भगवान उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। क्या आपको पता है कि भगवान शिव पर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है और इसके पीछे क्या कहानी छिपी हुई है, अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। माना जाता है कि इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं।
वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं। फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।