Jan 2, 2017
आने वाले दिनों ने यदि प्रतिद्वंद्वी खेमों ने सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना—अपना दावा किया तो विधानसभा चुनाव से पहले उसपर रोक लगने की पूरी आशंका है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले एक समूह ने जरूरत के मुताबिक उन्हें पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और विभिन्न प्रादेशिक ईकाइयों के गठन का अधिकार दे दिया है और इनकी सूचना शीघ्रातीशीघ्र चुनाव आयोग को भी देनी है। अखिलेश खेमे के सूत्रों का कहना है कि यदि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाला समूह चुनाव आयोग के पास जाता है तो वे भी जाएंगे। हालांकि, पर्यवेक्षकों का मानना है कि अखिलेश वाले धड़े को चुनाव चिह्न पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग के पास जाना होगा क्योंकि आयोग के रिकार्ड में मुलायम सिंह यादव और अन्य पदाधिकारियों का नाम होगा।
यदि सइकिल पर अखिलेश दावा करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आयोग को दूसरे पक्ष को नोटिस देना होगा और इसपर फैसला करने से पहले दोनों पक्षों को सुनना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में यदि चुनाव आयोग किसी एक पक्ष को चिह्न देने के फैसले पर नहीं पहुंच पाता है तो वह इसपर रोक लगा सकता है ताकि चुनावों के दौरान किसी पक्ष को अतिरिक्त लाभ ना हो।
रामगोपाल यादव के 4 प्रस्ताव पेश
आपको बता दें कि राजधानी में समाजवादी पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा बुलाए गए विशेष अधिवेशन में रविवार को पार्टी नेताओं ने रामगोपाल यादव के 4 प्रस्ताव को पारित कर दिया है।
सपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष मान लिया है।
उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शिवपाल यादव को पद से हटा दिया गया है।
पार्टी महासचिव अमर सिंह को भी पार्टी ने निकालने का प्रस्ताव रखा गया है।
और मुलायम सिंह को मार्गदर्शक की भूमिका दी गई है।
प्रस्तावों की जानकारी अब चुनाव आयोग को देनी है
इन प्रस्तावों की जानकारी अब चुनाव आयोग को दी जानी है, ऐसे में अगर मुलायम और अखिलेश दोनों ही खेमों के किसी ने भी आयोग के सामने चुनाव चिह्न को लेकर दावेदारी पेश की तो हो सकता है कि आयोग को ये रद्द करना पड़े क्योंकि भले ही मुलायम अपनी साइकिल पर बैठकर यूपी की सत्ता पर शासन किया हो लेकिन इस चुनाव चिह्न का रजिस्ट्रेशन उनके धुर विरोधी रामगोपाव यादव के नाम पर हैं।
चुनाव चिह्न को लेकर नूरा कुश्ती ना हो
ऐसे में चुनाव चिह्न को लेकर नूरा कुश्ती ना हो, इससे बचने के लिए आयोग चुनाव चिह्न को ही रद्द कर सकता है, वैसे ये बातें तब होंगी जब चुनाव चिह्न को लेकर झगड़ा होगा।