Sep 30, 2016
नवरात्र के दिनों में मां दुर्गां के नौ स्वरूपों की विधान पूर्वक उपासना की जाती है। वैसे तो मां की अराधना किसी भी दिन अथवा समय पर की जा सकती है लेकिन नवरात्र में इसका अत्यधिक महत्व है। माना जाता है की नवरात्र के नौ दिन और नौ रात देवी मां धरती पर वास करती हैं। भक्त श्रद्धा भाव से उनके चित्रपट अथवा प्रतिमा को सजाते हैं और जिस भी भाव से उनकी अराधना करते हैं वे उसी रूप में उन पर अपना आशीर्वाद बरसाती हैं। नवरात्र के आरंभ से पूर्व करें देवी दुर्गा के स्वागत की तैयारी..
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में किसी भी चीज को स्थापित करने से पहले कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। जिससे उसकी सकारात्मकता का लाभ उठाया जा सके अन्यथा नकारात्मकता अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है। सभी दिशाओं पर खास देवी-देवता का साम्राज्य स्थापित होता है। उनका पूजन उसी दिशा में करने से पूर्ण रूप से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
* प्राचीन मान्यताओं से ज्ञात होता है की देवी दुर्गा का अधिपत्य दक्षिण दिशा में स्थापित है। मां से जुड़ाव के लिए पूजन करते समय ध्यान रखें की मुंह दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा में मुंह करने से प्रज्ञा जागृत होती है, दक्षिण दिशा में मुंह करने से आत्मिक शांति का अनुभव होता है।
* मां की प्रसन्नता चाहने वाले जातक को पूजा सामग्री दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।
* जिस कमरे में मां की स्थापना की गई हो उस कमरे में हल्का पीला, हरा अथवा गुलाबी रंग होना चाहिए।
* पूजन में एकाग्रता लाने के लिए घर की उत्तर-पूर्व दिशा में प्लास्टिक अथवा लकड़ी से बना पिरामिड रखें। यह नीचे से खोखला होना चाहिए।
* हिंदू शास्त्रों अथवा वास्तुशास्त्र के अनुसार कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से पूर्व हल्दी अथवा सिंदूर से स्वस्तिक बनाने का विधान है। पूजन आरंभ करने से पूर्व स्वस्तिक अवश्य बनाएं।