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 साष्‍टांग प्रणाम के कई फायदें, पर महिलाएं नहीं कर सकतीं इसे..  

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Jan 30, 2017

शिक्षित होने के साथ हम कई रुढिवादी परंपराओं को पीछे छोड़ चुके हैं, मगर आधुनिकता की आड़ में कई अच्छी परंपराएं भी लुप्त होती जा रही हैं या फिर औपचारिकता भर रह गई हैं। अब जैसे कि चरण स्पर्श करने की परंपरा को ही ले लीजिए। जहां शास्त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों का चरण स्पर्श करने से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है। वहीं वैज्ञानिक तौर पर भी इसकी अपनी अहमियत है। मगर आजकल तो लोग पैरों को हल्का सा स्पर्श कर या फिर बिना स्पर्श किए ही चरण स्पर्श कर लेते हैं। ये भी कह सकते हैं कि अब तो हाय-हैलो का जमाना है और पैर छूकर प्रणाम करने वालों को आउटडेटेड कहा जाता है। हालांकि चरण स्पर्श से ज्यादा सम्मान-आदर साष्टांग प्रणाम में झलकता है, जिसमें लोग जमीन पर पूरा लेटकर माथा टेकते हैं। अब तो सिर्फ भगवान के सामने ही यदा-कदा लोगों को यह प्रणाम करते देखा जा सकता है। मगर असल में यही हमारी संस्कृति है।

यह एक प्रकार का आसन है, जिसमें शरीर का हर भाग जमीन के साथ स्पर्श करता है। यह आसन इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। मगर शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को यह आसन करने की मनाही है, आइए बताते हैं क्यों। इसलिए है मनाही हिन्दू शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह आसन स्त्रियों को नहीं करना चाहिए। वैसे धार्मिक दृष्टिकोण छोड़ दें तो साष्टांग प्रणाम करने के स्वास्थ्य लाभ भी बहुत ज्यादा हैं। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियां पूरी तरह खुल जाती हैं और उन्हें मजबूती भी मिलती है।