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गंदा पानी पीने को ग्रामीण मजबूर, शासन नही ले रहा सुध

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Jul 10, 2017

दंतेवाड़ा : सड़क ऐसी खौफनाक जिस पर कदम रखकर दो गज भी चलना मुश्किल हैं, यहां जिंदगियां बिजली के खंबों से चढ़कर पार होती हैं। शासन-प्रशासन के विकास के पहिये सुरनार के लालगढ़ में बसे गांव में सुचारू ढंग से अब तक नही पहुंच पाये हैं। दंतेवाड़ा की इस लालगढ़ के दहलीज में बसने वाले सुरनार गांव में न तो कही पक्की सड़क हैं, न ही सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं की तस्वीर हैं। ग्रामीणों की आंखों में सिर्फ बेबसी, लाचारी, मजबूरी और  रोजमर्रा की जरुरतों के लिये कड़ा संघर्ष हैं। सुरनार गांव में बसने वाली हजारो जिंदगियां रोज ऐसे ही संघर्षो से जूझती हैं। दंतेवाड़ा जिले के ब्लाक मुख्यालय कटेकल्याण के सूरनार हापूपारा के 65 परिवारों के नसीब में खेत-खलियान से निकलने वाले झरिया का गन्दा पानी पीने की विवशता बनी हुयी हैं। इसी पानी का उपयोग पास के स्कूली बच्चे भी कर रहे हैं। इस गांव में 3 हैंडपंप हैं पर उनमें से 2 हैंडपंपों की जमानत वर्षो से जप्त हैं। जिसकी सुध लेने के लिये सरकार के किसी अधिकारी के पास समय नही हैं। सूरनार के पटेलपारा और हापूपारा में लोग हर रोज पानी के लिये जिद्दोजहत कर रहे हैं। एक ओर हैंडपंपों से उगलते लाल पानी को ग्रामीण पी रहे हैं। तो दूसरी तरफ खेत के नाले का गन्दा पानी गटक रहे हैं। सूरनार पटेलपारा में 30 परिवार के लोग हैंडपंपों से निकल रहे लाल पानी को पी रहे हैं। वही हापूपारा में 60 परिवार के लोगों को खेत में नाले की शक्ल में बह रहे गंदे पानी को पीना मजबूरी बन गई हैं। यहां हालात इस कदर खराब हैं कि इंसान और मवेशी दोनों इस पानी को पीकर प्यास बुझा रहे हैं। मजबूरी की वजह से अब इस पानी को पीना आदत बन गई हैं। शिक्षित लोग गंदे पानी को उबाल कर पी लेते हैं। महिला सरपंच और ग्रामीण जन समस्या से लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार आवेदन दे चुके हैं, पर उनकी सुनवाई नही हो रही हैं और गुहार प्रशासन के डस्टबीन में जाकर दब जा रही हैं।