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जनप्रतिनिधि कर रहे जनपद सीईओ का विरोध 

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Jul 10, 2017

 दुर्ग : जिले में पंचायती राज पर अधिकारी राज हावी होता दिखाई दे रहा हैं। यही वजह हैं की जनपद और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि ने जनपद सीईओ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुये सीईओ पर मनमानी भ्रष्ट्राचार व दुर्व्यवहार सहित कई आरोप लगाये हैं। जनप्रतिनिधियों ने सीईओ को हटाने की मांग करते हुये मंत्री समेत जिला प्रशासन से शिकायत की हैं। चेतावनी देते हुये कहा हैं कि अगर तत्काल सीईओ को नहीं हटाया गया तो उग्र प्रदर्शन होगा।

दुर्ग जिले में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच योजनाओं के अमल को लेकर आपसी तालमेल नही बन पा रहा हैं। यही वजह हैं कि जिले के दुर्ग और पाटन ब्लाक में जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। पाटन में जनपद सदस्यों ने सीईओ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुये उन्हें तत्काल हटाने की मांग की हैं। सदस्यों का आरोप हैं कि सीईओ सामान्य सभा की बैठक को नियमों से आयोजित नही करती। जिसकी वजह से क्षेत्र में विकास कार्य लगातार प्रभावित हो रहे हैं। सरकार की कई योजनायें जिनका क्रियान्वन समय पर होना चाहिये, पर जनप्रतिनिधि और अधिकारी के समन्वय नहीं होने की वजह से योजनायें कागजो तक ही सिमट कर रह गई हैं। जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया हैं कि योजना के क्रिनायावान के लिये अधिकारियों पर दबाव डाला जाता हैं। तो उन्हें दुर्व्यवहार का भी सामना भी करना पड़ता हैं, यही नहीं जनप्रतिनिधियों ने सीईओ पर शासकीय भ्रमण के नाम पर राशि का दुरुपयोग कर भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाया हैं। सीईओ पर लगे आरोपों के बारे में जनपद सीईओ प्रिय गोयल का साफ़ तौर पर कहना हैं कि उन पर लगाये गये सारे आरोप बेबुनियाद हैं। वह एक अधिकारी हैं और सरकार की समस्त योजनाओं को नियमों से चलना चाहती हैं। नियमों का पालन करने की सजा उन्हें भुगतनी पड़ रही हैं। जनप्रतिनिधि नियम विपरीत कार्य करवाना चाहते हैं और सीईओ द्वारा नहीं करने पर उनके खिलाफ राजनैतिक साजिश की जा रही हैं। वही भ्रष्ट्राचार के लगे आरोप पर उन्होंने कहा की जनप्रतिनिधि चाहे तो इस पूरे मामले की उच्चाधिकरियों से जांच करवा सकते हैं। जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा होगा। वही जिला पंचायत के सीईओ का कहना हैं कि जनपद सीईओ की शिकायत की बात जनप्रतिनिधियों के द्वारा उनके सामने आई हैं। जिस पर उचित जांच की जायेगी और किसी तरह की लापरवाही और भ्रष्ट्राचार पाया जाता हैं, तो संबंधित अधिकारी पर भी कार्यवाही की जायेगी। जिले में अधिकारी और जनप्रतिनिधि के बीच समन्वय ना होने का आरोप लंबे समय से लगता आया हैं। इसकी शिकायत ना सिर्फ पंचायत स्तर के नेताओ ने किया, बल्कि मंत्री और विधायक भी मुख्यमंत्री के सामने अपना दुखड़ा रो चुके हैं। इस पूरी खीचतान में विकास कार्य दरकिनार कर दिया जाता हैं। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता हैं।