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छत्तीसगढ़ के इस देवी मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित

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Sep 14, 2017

कांकेर : अंधविश्वास के चलते छत्तीसगढ़ कांकेर के एक देवी मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि महिलाएं उमा देवी मंदिर में प्रवेश करेंगी तो गांव में अनहोनी होनी तय है। बताते हैं कि 11वीं सदी में बने उमा देवी के इस मंदिर में ऋषि-मुनि पूजा करते थे। अब संरक्षण के आभाव में मूर्तियां खंडित हो रही हैं। रिसेवाड़ा गांव के नाम को लेकर भी एक अलग मान्यता है। जानकार बताते हैं कि इस गांव की पहाड़ी पर प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि जप-तप करते थे। तब से ही इस गांव का नाम रिसेवाड़ा यानि ऋषियों के रहने वाला स्थान पड़ा।

इसी गाव में उमा देवी का मंदिर है, जिसमें भगवान शिव, देवी पार्वती सहित अनेक देवियों की पत्थर का मुर्तिया हैं। यह मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। मंदिर के पास ही एक छोटा सा तालाब है। इसमें लोग पूर्णिमा के दिन पूजा कर नहाते हैं। आस्था है कि पूर्णिमा के दिन इस तालाब में नहाने से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है। खास कर दाद-खाज और खुजली से तत्काल राहत मिलने की बात ग्रामीण कहते हैं। मंदिर के पुजारी कमलेश कहते हैं कि मंदिर करीब तीन सौ साल पहले बना था। यहां ऋषियों ने खुद देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित कीं। मंदिर के इस इलाके में देवी का प्रकोप है। इस इलाके में कोई महिला नहीं आ सकती। यदि कोई महिला धोखे से भी इधर आ जाती है तो कोई न कोई अनहोनी हो जाती है।

ग्रामीण मोहन यादव बताते हैं कि जंगल के लकड़बग्गा, तेंदुआ, भालू सहित अन्य जानवर पागल हो जाते हैं और ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसी घटना गांव में कई बार हो चुकी है। इसके चलते ही देवी के प्रकोप के डर के कारण इस मंदिर इलाका में महिलाएं नहीं आती हैं। इतिहास के जानकार किशोर शर्मा बताते हैं कि इस मंदिर में करीब तीन सौ साल प्राचीन मुर्तियां हैं। संरक्षण के आभाव में मूर्तियां खंडित हो रही हैं। इस क्षेत्र को लेकर जनप्रतिनिधि सहित कई अधिकारियों को जानकारी दी गई है, लेकिन अब तक कोई उचित प्रबंध नहीं किया गया है।