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निलंबित बीईओ ने स्वयं को किया बहाल, जाने क्या हैं मामला...

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Aug 4, 2017

महासमुंद : एक बार फिर शिक्षा विभाग की मनमानी सामने आई हैं। रिश्वतखोर अधिकारी को बचाने के लिए विभाग उलटफेर करने में लगा हुआ हैं। वेतन निकालने के एवज में नगरीय निकाय के शिक्षाकर्मियों से 500-500 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित बीईओ पीके शर्मा ने स्वयं बहाली का दावा किया हैं। शर्मा ने नियमों का हवाला देकर स्वयं को बहाल होना बताया हैं और इस संबंध में उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भी लिखा हैं।

पीके शर्मा के पत्रानुसार उन्हें निलंबन अवधि के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दिया जाना था, जो कि नहीं दिया गया। लिहाजा सिविल सेवा नियमावली 1966 के नियम 14 के अंतर्गत 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दिया जाना अपेक्षित था। पर्याप्त प्रतीक्षा के बाद भी आरोप पत्र नहीं दिया गया, लिहाजा नियम 9 (5) के तहत निलंबन आदेश स्वमेव प्रतिसंहृत हो चुका हैं। यह पत्र भी त्रुटिपूर्ण हैं, इस पत्र में निलंबित बीईओ ने अपना पदभार सारंगढ़ जनपद पंचायत में उप अभियंता के पद पर पदस्थ होना बताया हैं।

आवेदन पत्र 1 अगस्त का हैं, लेकिन विभाग के तात्कालिक प्रभारी बीईओ ने इसे 31 जुलाई को ही जारी कर उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांग लिया। जिसे लेकर अब शिक्षाकर्मियों में भय व्याप्त हैं। विभागीय चुक के चलते अब उन तमाम 27 शिक्षाकर्मियों पर तलवार लटक गई हैं, जिनकी शिकायत के बाद बीईओ निलंबित हुआ था। गौरतलब हैं कि शुरू से ही यह मामला प्रशासनिक लेटलतीफी और प्रश्रय का रहा। वेतन के एवज में रिश्वत मांगे जाने पर तब तक आरोपित बीईओ अपने पद पर बने रहे। इस दौरान शिकायतकर्ता शिक्षाकर्मियों को तमाम तरह की मानसिक परेशानियों से जुझना पड़ा।

बीते वर्ष 26 जुलाई को नगरीय निकाय के 27 शिक्षाकर्मियों ने कलेक्टर को आवेदन दिया था। मामले में सीईओ जिला पंचायत को जांच का जिम्मा दिया गया। सीईओ द्वारा बनाई गई कमेटी ने टालमटोल कर 1 दिसंबर से जांच शुरू की। जांच प्रतिवेदन देने में भी देर की गई। बाद में सीईओ ने प्रतिवेदन मंगाया और कार्रवाई के लिए शिक्षा सचिव को भेजा। लिहाजा 1 मई 2017 को आरोपित बीईओ को निलंबित किया गया।

31 जुलाई 2017 को निलंबित बीईओ पीके शर्मा के नाम आरोप पत्र जारी किया हैं, जो कि प्रशासनिक चूक हैं। बीईओ पीके शर्मा को 90 दिन के भीतर आरोप पत्र नहीं दिए जाने के मामले में प्रशासनिक चूक सामने आई हैं। शिक्षाकर्मियों का कहना हैं कि नियमों का लाभ दिलाने के चलते 90 दिन बीतने के बाद आरोप पत्र जारी किया गया हैं। विभाग के अधिकारी जहां गोल-मोल बातें कर रहे हैं, वहीं इस मामले में शिक्षा सचिव विकासशील ने निलंबित अधिकारी को किसी तरह से लाभ पहुंचाने के आरोपों का खंडन किया हैं।

उनका कहना हैं कि 31 जुलाई तय सीमा था। जिसमें आरोप पत्र जारी किया गया हैं। वहीं जिला पंचायत सीईओ भी इसे विभागीय चुक और स्थानीय कर्मचारियों की गलती स्वीकार कर रहे हैं। बहरहाल देखना यह हैं कि लंबे समय से भ्रष्ट अधिकारी के गरमाये इस मामले में अब क्या कार्रवाई होती हैं।