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पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड के सीबीआई जांच पर उठे सवाल

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Sep 21, 2017

गरियाबंद : पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड में नया मोड़ आया हैं। सीबीआई जांच की मांग करने वाले पीड़ित परिवार ने ही सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए हैं। पीड़ित परिवार का सीबीआई से मोहभंग हो गया हैं। अब पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा हैं।

गरियाबंद के उमेश राजपूत हत्याकांड की जांच में पहले से ही आलोचना झेल रही सीबीआई की एक बार फिर आलोचना हो रही हैं। सीबीआई से जांच की मांग करने वाले उमेश राजपूत के परिवार ने ही अब जांच पर असंतोष जताया हैं।

दिवंगत उमेश राजपूत के छोटे भाई परमेश्वर राजपूत ने सीबीआई पर जांच सही ढंग से नहीं करने का आरोप लगाया हैं। उन्होंने कहा कि ढाई साल बाद भी सीबीआई उसके भाई के असली कातिलों को ढूंढने में नाकाम रही हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि सीबीआई अपनी जांच में कुछ लोगों को बचाने में लगी हुई हैं।

हालांकि सीबीआई इस मामले में शिवकुमार वैष्णव और उसके बेटे विकास वैष्णव को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपा चुकी हैं। सीबीआई इन दोनों को ही दोषी बताकर मामले को निपटाने में जुटी हैं। जबकि सीबीआई अब तक इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत हासिल नहीं कर पाई हैं।

केवल घटना के समय उमेश राजपूत के साथ बैठे होने की बिनहा पर ही इन दोनों को गिरफ्तार किया गया हैं। शिवकुमार वैष्णव की तो सीबीआई कस्टडी में संदिग्ध मौत भी हो चुकी हैं। इसी बात से नाराज परमेश्वर राजपूत ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए हैं।

मामले का फैसला आने से पहले ही उन्होंने फैसले को मानने से इंकार कर दिया हैं। वे प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर सही जांच की मांग कर चुके हैं और अब सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।

21 जनवरी 2011 को पत्रकार उमेश राजपूत की हत्या हुई थी। पहले पुलिस ने मामले की जांच की और फिर पीड़ित परिवार की मांग पर जुलाई 2015 से सीबीआई मामले की जांच कर रही हैं। सीबीआई ने बिना किसी ठोस सबूत के शिवकुमार वैष्णव और उसके बेटे को तो सिर्फ घटना के समय उमेश राजपूत के साथ बैठे होने का हवाला देकर गिरफ्तार कर लिया, मगर हत्या के बाद घटनास्थल से जब्त किए गए सामान को गायब करने वाली छुरा पर पुलिस से सीबीआई ने पूछताछ करना भी मुनासिब नहीं समझा।

यही नहीं इस मामले में बिलासपुर के जिस बिल्डर का बार-बार जिक्र हो रहा हैं, उससे भी सीबीआई ने पूछताछ नहीं की। ऐसे में पीड़ित परिवार द्वारा सीबीआई की जांच पर सवाल उठना लाजमी हैं।