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छत्तीसगढ से पलायन का अभिशाप नहीं हो रहा खत्म, ग्रामीण लोग रोजी रोटी के लिए कर रहे दूसरे प्रदेशों का रूख

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Dec 6, 2018

पुरूषोत्त्म पात्रा : शासन के तमाम दावो के बाद भी छत्तीसगढ से पलायन का अभिशाप खत्म होने का नाम नही ले रहा है, ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी रोजी रोटी के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख करने पर मजबूर हो रहे है। देखिए एक रिपोर्ट...

ये है गरियाबंद जिले का कुल्हाडीघाट गॉव, वैसे तो इस गॉव की पहचान दिल्ली तक है, क्योंकि प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गॉधी अपनी पत्नि सोनिया गॉधी के साथ यहॉ आये थे, उन्होंने इस गॉव को गोद भी लिया, उसके बाद कांग्रेस की राज्यसभा सांसद मोहसिन किदवई ने भी इस गॉव को गोद लिया, मगर इतना सब होने के बाद भी कुल्हाडीघाट की तस्वीर और यहॉ के लोगो की तकदीर नही बदली, आज भी गॉव में रोजगार का कोई साधन नही है, मनरेगा का काम भी लोगो को नही मिल पाया, लोगो को रोजी रोटी की तालाश में पलायन करने पर मजबूर होना पड रहा है।

कुल्हाडीघाट में घरों के बाहर लगे ताले ये बताने और समझने के लिए काफी है कि घर के अंदर कोई नही है, ऐसे नजारे यहॉ हर गली में देखने को मिल जायेंगे, पुरा गॉव सुनसान पडा हुआ है, गलियां विरान है, क्योंकि गॉव के 137 लोग पलायन कर चुके है, पंचायत सचिव ने पलायन का ये आंकडा जब जिला प्रशासन को भेजा तो जिम्मेदार अधिकारी दौडते हुए गॉव पहुंच गये, गलती खुद की थी इसलिए उसे छुपाने के लिए मीडिया से बचकर निकल गये, मगर अब तक विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने सरकार की नीतियों पर सवाल खडे कर दिये।

पंचायत द्वारा अधिकारियों को पलायन किये गये लोगो की जो सूची सौंपी है उसके मुताबिक....

कुल्हाडीघाट मुख्यालय से = 48

आश्रित गॉव कठवा से   = 07

आश्रित गॉव मटाल से   = 20

आश्रित गॉव बेसराझर से =25

आश्रित गॉव गंवरमड से = 27

आश्रित गॉव भालूडिग्गी से =04

आश्रित गॉवदेवडोंगर से   =06

योजना बनाने में नाकामी सरकार की रही हो या फिर योजनाएं सही ढंग से क्रियान्वयन नही करने में जिला प्रशासन विफल रहा हो दोनो ही परिस्थितियों में नुकसान ग्रामीणों को भुगतना पड रहा है, प्रदेश में रोजगार की आपार संभावनायें होने के बाद भी प्रदेश की जनता को रोजगार के लिए दुसरे प्रदेशों पर निर्भर होना पड रहा है, ऐसे में योजना के बनाने वालो और उसको क्रियान्वयन करने वालो पर सवाल उठाने लाजमि है।